बस्तर ओलम्पिक 2025: वर्षों बाद सरोज पोडियाम की प्रेरक वापसी, संभाग स्तर तक पहुंची महिला टीम
सुकमा की सरोज पोडियाम ने वर्षों बाद खेल मैदान में वापसी कर बस्तर ओलम्पिक 2025 में रस्साकसी टीम संभाग स्तरीय प्रतियोगिता तक पहुंची, जिससे पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
संभाग स्तर तक पहुंची सरोज पोडियाम की टीम
लीलाधर राठी - सुकमा। बस्तर ओलम्पिक 2025 ने इस वर्ष कई महिलाओं को अपनी जड़ों से फिर जुड़ने और खेल में वापसी का अवसर दिया है। इन्हीं प्रेरणादायक प्रतिभाओं में एक नाम है- सरोज पोडियाम, जिन्होंने विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वर्षों से खेल से दूरी बना ली थी। तीन वर्ष की बच्ची की माँ होते हुए भी उन्होंने मैदान पर लौटकर सभी को उत्साहित किया है।
पुरानी यादों से नई शुरुआत तक
कोंटा विकासखंड के दूरस्थ मुरलीगुड़ा गांव की रहने वाली सरोज बताती हैं कि बस्तर ओलम्पिक के आयोजन ने उन्हें स्कूल दिनों की खो-खो और कबड्डी की यादें ताज़ा करा दीं। सरोज कहती हैं कि, 'हम महिलाएं अधिकतर समय परिवार और बच्चों में व्यस्त रहती हैं। लेकिन बस्तर ओलम्पिक ने हमें अपनी प्रतिभा फिर से दिखाने का मौका दिया। संभाग स्तर तक पहुंचना हमारे लिए बहुत बड़ी खुशी है।'
रस्साकसी टीम ने संभाग स्तर में मारी बाजी
सरोज पोडियाम और उनकी टीम ने रस्साकसी में दमदार प्रदर्शन करते हुए संभाग स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयन प्राप्त किया है। इस उपलब्धि से पूरे परिवार और गांव में उत्साह का माहौल है।
सरोज ने कहा 'हम सभी महिला साथी बहुत खुश हैं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी का धन्यवाद, जिन्होंने हमें अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच दिया। अब लक्ष्य है कि संभाग में भी अपने जिले को जीत दिलाएं।'
नक्सल प्रभावित परिवार से संघर्ष की कहानी
सरोज का परिवार लंबे समय तक नक्सली हिंसा की पीड़ा झेलता रहा है। वर्ष 2009 में नक्सलियों ने उनके ससुर की हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद नवा बिहान योजना के तहत परिवार को सुकमा में आवास मिला और उनके पति श्री राकेश को नगर सैनिक के रूप में पदस्थ किया गया। आज वही परिवार कठिन संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए बस्तर ओलम्पिक में एक नई उपलब्धि की प्रेरणादायी कहानी लिख रहा है।
टीम की मजबूती और जीत का जज्बा
सरोज की रस्साकसी टीम में शामिल सभी महिलाओं ने बेहतरीन तालमेल दिखाया। टीम के सदस्य:
- नंदिता सोढ़ी
- सरिता पोडियामी
- लिपिका डे
- मुन्नी नाग
- ललिता यादव
- पुनम भेखर
- जसवंती वेट्टी
- बण्डी बारसे
इन सभी खिलाड़ियों ने मिलकर शानदार प्रदर्शन करते हुए संभाग स्तर तक पहुंचने का गौरव हासिल किया। बस्तर ओलम्पिक 2025 न केवल खेल का मंच बना, बल्कि महिलाओं के आत्मविश्वास, उनके संघर्षों और प्रतिभा को सामने लाने का अवसर भी। सरोज पोडियाम की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अवसर मिले तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी चमक बिखेर सकती हैं।