चार साल से अटका रपटे का काम: उफनती नदी को पार कर स्कूल जा रहे बच्चे, हादसों को दे रहे न्योता

गरियाबंद में सुखतेल नदी में बने रपटे को पार करते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। जरा सी चूक से बड़ी घटना हो सकती है।

Updated On 2025-09-25 12:19:00 IST

उफनती नदी को पार करते हुए बच्चे

अश्वनी सिन्हा- गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते नदी- नाले उफान पर है। इसी बीच यहां के अमलीपदर से लापरवाही करने का मामला सामने आया है। स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर सुखतेल नदी में बने रपटे को पार करते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। ऐसे में जरा सी चूक के चलते कभी भी कोई घटना घट सकती है।

यह रपटा क्षतिग्रस्त हो गया है जिसके कारण हादसे की संभावना बनी रहती है। अमलीपदर सुख तेल रपटे पर पुल निर्माण का कार्य सालों से लंबित है। पुल निर्माण के लिए 2020 में 7 करोड़ रुपय की मंजूरी मिली थी। अधूरे पुल के कारण क्षेत्रवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं बारिश के मौसम में तो लोगों को आवाजाही करना भी दूभर हो जाता है।

4 साल में 25 फीसदी ही पूरा हुआ काम
पुल निर्माण का काम ठेकदार ने 4 साल में 25 फीसदी पूरा किया है। जिस पर जिम्मेदारों को भी ध्यान नहीं है। वहीं रि- टेंडर की फाइल अब भी दफ्तरों में अटका हुआ है। इन सब लापरवाही का खामियाजा जनता हो भुगतना पड़ रहा है।

शव को ट्यूब के सहारे ले जाया गया
वहीं बलौदा बाजार जिले के पलारी तहसील अंतर्गत ग्राम छेरकाडीह से इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक महिला के शव को नाला पार कराने के लिए ग्रामीणों ने ट्यूब को नाव की तरह इस्तेमाल किया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। ग्राम छेरकाडीह निवासी टिकेश्वरी निषाद (उम्र 35 वर्ष) लंबे समय से बीमार थीं और आज सुबह करीब 11 बजे उनका निधन हो गया। महिला का मायका ग्राम में है। लेकिन शव को अंतिम संस्कार के लिए उसके ससुराल भंवरगढ़ ले जाने के दौरान गांव के बीच बहने वाले नाले ने बड़ा अवरोध पैदा कर दिया।


लंबे समय से कर रहे हैं पुल निर्माण की मांग
गांव में नाले पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीण मजबूरी में ट्यूब का सहारा लेकर शव को पार करा रहे थे। इस दौरान शव को ट्यूब पर रखकर रस्सियों और सहारे से दूसरी ओर ले जाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि, वे लंबे समय से नाले पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। आज की घटना ने प्रशासन की लापरवाही और ग्रामीणों की दुश्वारी को उजागर कर दिया है।

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