शराब घोटाले में फाइनल चार्जशीट: 2883 करोड़ के घोटाले में अपनाए गए उगाही के तीन तरीके, 81 आरोपियों की अब तक 382 करोड़ की सम्पत्तियां जब्त
शराब घोटाले में फाइनल चार्जशीट जारी कर दी गई है। जिसमें अब तक 81 आरोपियों की 382 करोड़ की सम्पत्तियां जब्त की गई हैं।
एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED)
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती शासनकाल में वर्ष 2019 से वर्ष 2023 के बीच शराब घोटाले की कंपलीट जांच करने तथा कोर्ट में फाइनल चालान पेश करने के बाद ईडी ने बयान जारी कर राजनीतिक सरपरस्ती में नौकरशाह और कारोबारियों ने मिलकर कैसे शराब घोटाले को अंजाम दिया, इसका विस्तृत ब्योरा पेश किया है। ईडी ने शराब घोटाला का फाइनल चालान 26 दिसंबर को रायपुर में ईडी की विशेष अदालत में 29 हजार 881 पन्नों पेश किया है।
ईडी द्वारा जारी बयान के अनुसार संगठित गिरोह बनाकर 2883 करोड़ रुपए का शराब घोटाला किया गया है। ईडी ने कहाए सुसंगठित आपराधिक गिरोह ने अवैध कमीशन और बेहिसाब शराब की बिक्री जैसी कई प्रक्रियाओं के माध्यम से व्यक्तिगत लाभ के लिए राज्य की शराब नीति का दुरुपयोग किया। ईडी के बयान के अनुसार गिरोह ने तीन-चार288 अलग-अलग माध्यमों से शराब घोटाला कर अवैध कमाई की है।
नकली होलोग्राम, नकद में खरीदी
शराब घोटाला करने भाग-बी में एक समानांतर प्रणाली के तहत सरकारी दुकानों के माध्यम से नकली होलोग्राम और नकद में खरीदी गई बोतलों का उपयोग करके अवैध रूप से देसी शराब बेची जाती थी। ऐसी व्यवस्था सभी उत्पाद शुल्क और कर जमा करने से बचाव के लिए था।\
आपूर्तिकर्ताओं से रिश्वत
ईडी के अनुसार घोटाला करने भाग-ए में घोटाले का कमीशन प्राप्त करने शराब आपूर्तिकर्ताओं से आधिकारिक बिक्री पर रिश्वत ली जाती थी, जिसकी सुविधा राज्य द्वारा भुगतान की जाने वाली लैंडिंग कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर प्रदान की जाती थी, जिससे प्रभावी रूप से राज्य के खजाने के माध्यम से रिश्वत का वित्तपोषण होता था।
कार्टेल कमीशन
भाग-सी के तहत बाजार में हिस्सेदारी बनाए रखने और परिचालन लाइसेंस प्राप्त करने के लिए शराब बनाने वालों द्वारा वार्षिक रिश्वत दी जाती थी। एफएल-10 ए लाइसेंस विदेशी शराब निर्माताओं से कमीशन वसूलने के लिए एक नई लाइसेंस श्रेणी शुरू की गई थी, जिसमें से 60% लाभ सिंडिकेट को जाता था।
आरोपियों को श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया
ईडी ने शराब घोटाला में पहले 22 लोगों को आरोपी बनाया था। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, नए तथ्य सामने आते गए। इसके बाद 59 नए नाम जोड़कर कुल 81 लोगों को घोटाले में आरोपी बनाया गया है। आरोपियों का अलग-अलग श्रेणी मेंवर्गीकरण किया गया है।
नौकरशाह वर्ग में सेवानिवृत्त
आईएएएस अनिल टूटेजा, तत्कालीन संयुक्त सचिव, आईएएस निरंजन दास, तत्कालीन आबकारी आयुक्त जैसे वरिष्ठ अधिकारी नीति में हेरफेर करने और सिंडिकेट के निर्बाध संचालन को सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहे थे। अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस), सीएसएमसीएल के प्रबंध निदेशक अवैध वसूली को अधिकतम करने और भांग-बी संचालनों के समन्वय का कार्यभार सौंपा गया था। इसके अतिरिक्त, जनार्दन कौरव और इकबाल अहमद खान सहित 30 फील्ड-स्तरीय आबकारी अधिकारियों पर प्रति मामले कमीशन के बदले में बेहिसाब शमब की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के आरोप में मुकदमा चलाया गया।
इनकी भूमिका ऐसी रही
तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और चैतन्य बघेल सहित उच्च पदस्थ राजनीतिक हस्तियों पर उनके व्यापार, रियल एस्टेट परियोजनाओं में नीतिगत सहमति देने और पीओसी प्राप्त करने, उपयोग करने में उनकी भूमिका के लिए आरोप लगाए गए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय की उप सचिव सौम्या चौरासिया को अवैध नकदी के प्रबंधन और अनुपालन करने वाले अधिकारियों की नियुक्तियों के प्रबंधन में प्रमुख समन्वयक के रूप में पहचाना गया था।
अनवर ढेबर, अरविंद सिंह गिरोह के लीडर
ईडी के बयान के अनुसार शराब घोटाला के इस गिरोह का नेतृत्व अनवर ढेबर और उसके सहयोगी अरविंद सिंह ने किया। मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स और मेसर्स वेलकम डिस्टिलरीज सहित निजी निर्माताओं ने जानबूझकर शराब के अवैध निर्माण में भाग लिया और भाग-ए और भाग-बी कमीशन का भुगतान भी किया। सिद्धार्थ सिंघानिया (नकदी संग्रह) और विधु गुप्ता (नकली होलोग्राम आपूर्ति) जैसे सुविधाकर्ता भी इस धोखाधड़ी में प्रमुख निजी भूमिका निभाते पाए गए।
पौने चार सौ करोड़ से ज्यादा संपत्ति कुर्क
शराब घोटाला को लेकर ईडी ने अब तक अलग-अलग लोगों की 382.32 करोड़ रुपए की एक हजार 41 संपत्तियां अस्थायी तौर पर कुर्क की है। जिन लोगों की संपत्ति कुर्क की गई है, उनमें नौकरशाह, राजनीति तथा कारोबारी जगत से जुड़े लोग शामिल हैं।