जन सुनवाई का भारी विरोध: पुरुंगा में प्रस्तावित है कोल माइंस, ठंड में रातभर डटे रहे ग्रामीण, प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ के पुरुंगा में प्रस्तावित कोल माइंस जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों का विरोध जारी है। महिला, पुरुष और बच्चे ठंड में रातभर सड़क पर बैठे रहे।
धरने पर बैठे हुए सभी ग्रामीण
अमित गुप्ता- रायगढ़। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ के पुरुंगा में प्रस्तावित कोल माइंस की जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार दूसरे दिन भी ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। भरी ठंड में भी महिला, पुरुष और बच्चे रातभर सड़क पर डटे रहे और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
दरअसल ग्रामीणों की मुख्य मांग यह है कि, 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाये। उनका कहना है कि, जनसुनवाई ग्रामीणों की सहमति के बिना जबरन कराई जा रही है। जिससे उनके जीवन, खेती और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ेगा।
ग्रामीणों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शन के चलते कलेक्ट्रेट मार्ग पर सुबह से ही आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है, जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि, शुक्रवार देर रात तक कांग्रेस विधायक उमेश पटेल और लालजीत सिंह राठिया भी धरनास्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों के साथ बैठे रहे।ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने जनसुनवाई निरस्त नहीं की, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र रूप लेगा।
खस्ताहाल सड़क के खिलाफ केशकाल बंद
वहीं बस्तर की लाइफ लाइन नेशनल हाईवे- 30 की स्थिति बेहद ख़राब है। इसी के विरोध में गुरुवार को केशकाल बंद रखा गया हैं। जिसका व्यापक असर देखने को मिला और व्यापारियों ने इसका समर्थन किया। नगरवासियों ने सड़क की मरम्मत में हो रही देरी और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप लगाया है।
NH- 30 पर उड़ती धूल से शहरवासी परेशान
मामले को देखते हुए पुलिस बल की भी तैनाती की गई। लोगों ने बताया कि, जब तक सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो जाता तब तक चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान लोगों ने एसडीएम केशकाल को ज्ञापन सौंपते हुए उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। लोगों का कहना है कि, एनएच- 30 पर जगह- जगह बने गड्ढों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।
उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
सड़क की खस्ता हालत के कारण धूल और मिट्टी से सांस संबंधी बीमारियां, आंखों में जलन और त्वचा रोग बढ़ रहे हैं। व्यापारियों, छात्रों और राहगीरों को भी भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है। नगरवासियों ने कहा कि, एनएच- 30 बस्तर अंचल की जीवन रेखा है लेकिन लगातार लापरवाही के कारण यह अब मौत का रास्ता बन गई है। आगामी दिनों में आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।