धान खरीदी के लिए बड़ा फैसला: जिन सोसायटियों में हुई धान की शार्टेज, उनके प्रबंधक इस साल रखे जाएंगे खरीदी से दूर

सोसाइटियों के प्रबंधकों को इस साल की धान खरीदी से अलग रखने का आदेश सहकारिता पंजीयक कार्यालय ने जारी किया है।

Updated On 2025-11-07 12:51:00 IST

File Photo 

रायपुर। मूल्य पर खरीदे गए धान की मात्रा में सूखत की वजह से धान की मात्रा कम हुई है, उन सोसाइटियों के प्रबंधकों को इस साल की धान खरीदी से अलग रखने का आदेश सहकारिता पंजीयक कार्यालय ने जारी किया है। खास बात ये है कि यह आदेश सोसाइटियों को प्राधिकृत अधिकारियों को दिया गया है। खबर है कि प्राधिकृत अधिकारी इस आदेश के खिलाफ और सोसाइटी प्रबंधकों के पक्ष में हैं, लेकिन ये लोग खुलकर सामने नहीं आना चाहते।

ये है मामला
राज्य में खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान राज्य की 2 हजार 739 सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच 149 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई थी। बाद में जब धान को मिलरों और संग्रहण केंद्रों के भेजा गया और धान का हिसाब मिलाया गया तो पता लगा कि गरमी के कारण धान सूख गया है और धान की मात्रा कम हो गई है। इस कमी के लिए सोसाइटियों को प्रबंधकों को जिम्मेदार माना जा रहा है।

प्राधिकृत अधिकारियों को आदेश
इस मामले को लेकर उपायुक्त सहकारिता एवं उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जिला रायपुर द्वारा सोसाइटियों को प्राधिकृत अधिकारियों को आदेश जारी किया गया है। रायपुर जिले में अभनपुर क्षेत्र की कुछ सोसाइटियों के प्राधिकृत अधिकारियों को यह आदेश मिल है। अभनपुर क्षेत्र की बंजारी, पिपरौद, तोरला, सुंदरकेरा, चंपाझर, पोंड, जाम गांव, टीला, मानिकचौरी आदि सोसाइटियों के लिए जारी आदेश में वहां धान में सूखत का मात्रा का ब्योरा देते हुए कहा गया है कि इस साल की धान खरीदी के दौरान इन सोसाइटियों के प्रबंधकों (धान खरीदी प्रभारी) को धान खरीदी कार्य से पृथक करते हुए अन्य कर्मचारी को जवाबदारी सौंपने का कार्यवाही करते हुए 7 दिवस के भीतर कार्यालय उपायुक्त सहकारिता एवं उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जिला रायपुर को अवगत कराना सुनिश्चित करें, अन्यथा की स्थिति में कड़ी कार्यवाही की जावेगी।

प्राधिकृत अधिकारी प्रबंधकों के पक्ष में
इस मामले में बताया जा रहा है कि रायपुर जिले में ही अधिकांश प्राधिकृत अधिकारी सोसाइटी प्रबंधकों के पक्ष में हैं, लेकिन वे खुलकर अपनी बात कहने से बच रहे हैं। एक प्राधिकृत अधिकारी न नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि सूखत का मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। जब तक न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है, तब तक कार्रवाई का अधिकार किसी को नहीं है। उल्लेखनीय है कि सोसाइटियों के चुनाव न होने के कारण शासन द्वारा अध्यक्ष के स्थान पर प्राधिकृत अधिकारियों की नियुक्त की गई है, इसमें अधिकांश लोग भाजपा समर्थक है।

प्रबंधकों की ये है दलील
प्राधिकृत अधिकारियों को पंजीयक कार्यालय का आदेश मिलने के बाद प्रबंधकों ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर अपनी बात कही है। इनका कहना है कि धान उपार्जन कार्य के दौरान हमारी समिति में संग्रहित धान की मात्रा निर्धारित बफर सीमा से कई गुना अधिक हो गई, जिसका मुख्य कारण अधिकृत एजेंसियों द्वारा धान का समय पर उठाव न किया जाना रहा। हमारे द्वारा बार-बार निवेदन करने के बावजूद भी धान का उठाव समय पर नहीं हुआ, जिससे प्राकृतिक एवं अनियंत्रणीय कारणों जैसे सूखावट, चूहों एवं मौसम जनित परिस्थितियों के कारण धान की मात्रा एवं गुणवत्ता में हानि हुई। इसके बावजूद हमारे विरुद्ध बकाया वसूली की नोटिस जारी कर दी गई तथा दंडात्मक कार्रवाई एवं आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की धमकी दी जा रही है।, जबकि धान का समय पर उठाव करवाना शासकीय एजेंसियों की जिम्मेदारी थी। उच्च न्यायालय के हवाले से कहा गया है कि धान के उठाव में विलंव एवं प्राकृतिक हानि को ध्यान में रखते हुए विधि सम्मत प्रक्रिया का पालन किया जाए तथा त्रिपक्षीय समझौते एवं नीति के प्रावधानों के अनुसार निर्णय लिया जाए।

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