एलबी नगर में अवैध कब्जों की बाढ़: मेन रोड की सरकारी जमीन पर भी अतिक्रमण, हैंडपंप तक की जगह हड़प ली
लाल बहादुर नगर में अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस देने के एक महीने बाद भी कब्ज़ा नहीं हटा है। जिसके बाद से बीते दिनों प्रशासन की तरफ से हुई कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।
तहसील कार्यालय लाल बहादुर नगर
तरुणा साहू- डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले के लाल बहादुर नगर से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने का मामला सामने आया है। यहां पर 26 सितंबर को सरकारी सम्पति से अतिक्रमण हटाने के लिए दर्जनभर लोगों को अतिक्रमियों को नोटिस दिया था। इसके बाद भी अभी तक अतिक्रमण नहीं हटा है। एक महीने बाद भी न तो लोगों ने अतिक्रमण हटाया है और न अब नगर पंचायत प्रशासन सुध ले रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, यह पूरा मामला नगर पंचायत लाल बहादुर नगर के वार्ड नंबर 14 और 13 डोंगरगढ़ मेन रोड का है। यहां से नेशनल हाईवे की दूरी एक से दो किलोमीटर है। मेन रोड के किनारे बसे ज्यादातर लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर रखा है। मामले की शिकायत पूर्व में ग्राम पंचायत में मौखिक रूप से की गई थी लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। वहीं अब नगर पंचायत बनने के बाद एक अतिक्रमण को हटाने के बाद मामला एक बार फिर संज्ञान में आया है।
दबाव में कार्रवाई करने के लगे आरोप
1 सितंबर को उसी रोड किनारे हुए अतिक्रमण को लेकर वार्ड नंबर 14 के दो कब्ज़ाधारियों को नगर पंचायत ने नोटिस जारी किया था। इस दौरान कब्ज़ा नहीं हटाने पर 10 सितंबर को दूसरी बार कारण बताओ नोटिस जारी हुआ लेकिन फिर कब्ज़ा नहीं हटा तो 25 सितंबर को स्थानीय प्रशासन ने दल- बल के साथ जाकर तोड़ दिया। जबकि दूसरी कब्जाधारी को 25 सितंबर को ही जगह खाली करने की समझाइश देते हुए छोड़ दिया था जिस पर एक महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
जर्जर कुएं के सामने गार्डन बनाने का आया है प्रस्ताव
वार्ड नंबर 14 की पार्षद और अन्य जनप्रतिनिधियों के मुताबिक, कुएं के सामने की जमीन पर गार्डन बनाने का प्रस्ताव आया है। जिसकी निधि भी पास हो गई है जिसका हवाला देते हुए प्रशासन ने यह कार्रवाई की गई है। इसके पूर्व में कचरा डिब्बा और हैंड पंप का भी प्रस्ताव आया था लेकिन लोगों ने अपने घर के सामने बनाने से मना कर दिया और उसे कहीं और शिफ्ट कर दिया गया। वहीं अब जर्जर कुएं के सामने गार्डन बनाया जायेगा जिससे हादसों की आशंका बढ़ सकती है।
कुएं की मरम्मत के लिए कई बार कर चुके हैं शिकायत
वार्ड का एकमात्र सरकारी कुआँ पूरी तरह जर्जर हो गया इसके ढहने से दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है। इसको लेकर नगर पंचायत बनने से पहले लोगों ने कई बार मरम्मत करने के लिए कहा लेकिन न सरपंच ने ध्यान दिया और न अभी नव निर्वाचित पार्षद- अध्यक्ष ध्यान दे रहे हैं। आस- पास बच्चे खेलते हैं इसलिए डर बना रहता है लेकिन जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।
दो- दो सरकारी हैंडपंप पर अब लोगों का कब्ज़ा
यह मोहल्ला पूर्व में एक ही वार्ड में आता था लेकिन अब अलग- अलग वार्डों में बंट गया है। यहां पर दो- दो सरकारी हैंडपंप है जिस पर अब लोगों ने कब्ज़ा जमा लिया है। साथ ही तालाब के किनारे तक को लोगों ने घेर लिया है कई बार शिकायत के बाद भी प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा है। वार्ड नं 13 और 14 मुख्यमार्ग किनारे की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है। जिसमें पक्का निर्माण, दुकान, दीवार घेराव आदि किया गया है। यह अतिक्रमण भूमि/ सार्वजनिक संपत्ति पर है।
हैंडपंप को बनाने के बजाये गुपचुप तरीके से ले गए
वार्ड नंबर 13 में एक हैंडपंप था जो ख़राब हो गया था। वहीं अब इस हैंडपंप के स्थान पर अब भवन निर्माण हो गया है और हैंड पंप पूरी तरह गायब हो गया है। मोहल्ले के ही लोगों ने बताया कि, हैंड पंप को पीएचसी लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (PHE) के अधिकारी उसे ठीक करने के बजे निकालकर ले गए। इस बात की सार्वजनिक रूप से किसी को पता नहीं है। इस हैंड पंप के निकल जाने के बाद अब मोहल्ले के लोग एक ही हैंड पंप पर निर्भर है वह भी आए दिन ख़राब होते रहता है।
प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई पर उठे सवाल
प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि, सड़क किनारे की सरकारी जमीन पर कई लोगों ने अतिक्रमण किया है लेकिन अधिकारियों ने एक के ऊपर ही कार्रवाई की है। नियम सब के लिए है एक के साथ सबका अतिक्रमण हटना चाहिए चाहे वह आम आदमी हो या नेता अधिकारी।
एकतरफा कार्रवाई पर सवाल से भागते दिखे अधिकारी
इस संबंध में मुख्य नगर पालिक अधिकारी से जानकारी लेने पर उन्होंने यह कहते हुए टाल दिया कि, यह सब तहसीलदार देखते हैं। मेरा काम सिर्फ नोटिस जारी करना होता है। वहीं जब तहसीलदार के पास फ़ोन पर पूछा गया कि, बाकि अतिक्रमण पर एक्शन क्यों नहीं लिया गया तो उन्होंने कहा- यह काम मुख्य नगर पालिक अधिकारी का होता है मुझे सूचना मिली थी इसलिए मैं मौके पर मौजूद था। इससे साफ पता चलता है की जिम्मेदार अपने कामों के प्रति प्रतिबद्ध न होकर एक- दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं।
जानिए नोटिस के बाद कितने दिनों के भीतर हटाना होता है अतिक्रमण
आमतौर पर अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस की तय समय सीमा संबंधित सरकारी आदेशों पर निर्भर करती है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन 24 घंटे, एक हफ्ते या 15 दिन तक का समय देती है। इसके बाद भी अगर अतिक्रमण नहीं हटता है तो कारण बताओ नोटिस जारी की जाती है जिसमें अतिक्रमियों को कब्ज़ा नहीं हटाने के लिए कारण बताना होता है।