दो मकानों पर चला बुलडोजर: रविदास समाज के लोगों ने घेरा कलेक्ट्रेट, अफसरों पर कार्रवाई की मांग
कवर्धा में PM आवास योजना के तहत बन रहे दो मकानों को प्रशासन ने ढहा दिया। आक्रोशित समाज ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शनकारी
संजय यादव - कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के लोहारा ब्लॉक के ग्राम रक्से में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रशासन ने 20 अगस्त को दो निर्माणाधीन मकानों पर बुलडोज़र चलाकर उन्हें जमींदोज़ कर दिया।
हैरानी की बात यह है कि, इन्हीं मकानों के लिए प्रशासन ने पहले जीरो टैग की कार्रवाई कर दो किस्तें भी जारी की थी। इसी मामले को लेकर आक्रोशित रविदास समाज के लोगों ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जमकर नारेबाज़ी की।
प्रशासन ने दो मकानों को ढहा दिया
प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों के लिए बनाई गई है, ताकि उन्हें पक्का मकान मिल सके। लेकिन ग्राम रक्से में यह योजना विवादों में आ गई है। यहां प्रशासन ने दो मकानों को यह कहते हुए ढहा दिया कि, निर्माण नियमों के विपरीत है। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि, उन्हीं मकानों के लिए प्रशासन ने पहले जांच की थी और दो किस्तें भी जारी कर दी गई थी।
कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन
इसी कार्रवाई के विरोध में शुक्रवार को रविदास समाज के लोग प्रदेशभर से एकजुट होकर कवर्धा पहुंचे। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि, जनपद सीईओ और लोहारा पुलिस की मिलीभगत से गरीब परिवारों के साथ अन्याय किया गया है। पीड़ित परिवारों ने कहा कि, हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाना शुरू किया, सरकार की तरफ से दो किस्त भी दी गईं। लेकिन अचानक प्रशासन ने बुलडोज़र चलाकर घर ढहा दिया। यह हमारे साथ अन्याय है। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने दी चेतावनी
वहीं, प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिला और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच कराई जाएगी और सभी तथ्य सामने आने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर हुई इस कार्रवाई से एक बार फिर योजनाओं की पारदर्शिता और प्रशासनिक कामकाज पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। अब देखना यह होगा कि, कलेक्टर स्तर पर इस मामले में क्या कदम उठाया जाता हैं और क्या वाकई पीड़ित परिवारों को न्याय मिल पाता है या नहीं ये बड़ा सवाल है।