मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आंखों में संक्रमण: 9 मरीजों को दिखना हुआ बंद, बीजापुर से रायपुर शिफ्ट

अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाकर किए गए मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 9 मरीजों को आंखों से दिखना बंद हो गया।

Updated On 2025-11-13 09:41:00 IST

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रायपुर। अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाकर किए गए मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 9 मरीजों को आंखों से दिखना बंद हो गया। संक्रमण की वजह से सूजन और दर्द की शिकायत के बाद उन्हें इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल लाया गया है। विभागीय लापरवाही का शिकार होने वालों में 8 महिलाएं और 1 पुरुष मरीज है। प्रारंभिक जांच में इंफेक्शन का पता लगने के बाद सूजन कम करने इलाज शुरू किया गया है । बीजापुर के शासकीय अस्पताल में अंधत्व निवारण अभियान के तहत 24 अक्टूबर को शिविर लगाकर 14 लोगों की आंखों का ऑपरेशन किया गया था।

ऑपरेशन के सप्ताहभर बाद नेत्र चिकित्सा अधिकारियों की टीम जब मरीजों के घर फॉलोअप लेने पहुंची, तो दो लोगों ने आंखों से कम दिखने और दर्द होने की शिकायत की। इसके बाद विभागीय टीम शिविर में ऑपरेशन कराने वाले सभी मरीजों के घर पहुंची। सभी को बीजापुर अस्पताल लाकर जांच की गई, जिसमें से 9 मरीजों की आंखों की रोशनी कम होने के साथ दर्द और सूजन के लक्षण दिखाई पड़े। विभाग ने एहतियात बरतते हुए मामला बिगड़ने की आशंका पर सभी को शासकीय एंबुलेंस में आंबेडकर अस्पताल रेफर कर दिया। आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में डॉक्टरों की टीम ने इन मरीजों की जांच की, जिसमें एक मरीज को छोड़कर बाकी की आंखों में इंफेक्शन का पता चला है। शिकायत के आधार पर उनकी आंखों में हुए सूजन को कम करने इलाज शुरू किया गया है। सूजन कम होने के बाद आवश्यकता के अनुसार उनका इलाज किया जाएगा और तभी यह स्पष्ट होगा कि संक्रमण ने आंखों की रोशनी को कितना प्रभावित किया है।

दवा डालने में लापरवाही की आशंका
बीजापुर के सीएमएचओ डॉ. बीआर पुजारी ने कहा कि, सर्जरी के पहले ऑपरेशन थियेटर का कल्चर टेस्ट किया गया था। नेत्र चिकित्सकों ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सर्जरी की थी। पहले फॉलोअप कोई समस्या नहीं थी, दूसरी बार में दो लोगों आंख लाल होने के बारे में बताया था। प्रारंभिक जांच के बाद तीन मरीजों को रेफर किया जाना था, मगर अन्य मरीज भी आंबेडकर अस्पताल जाने को तैयार हो गए। भेजे गए एक मरीज की आंखों में ज्यादा संक्रमण है जिसकी जांच के बाद सपष्ट होगा कि रोशनी पर कितना असर हुआ है। आशंका है कि इन्होंने दवा डालने में लापरवाही की होगी।

इन्हें लाया गया अस्पताल
बीजापुर से मरीजों को आंखों में शिकायत के बाद आंबेडकर अस्पताल लाया गया है। इनमें ग्राम तर्रेम निवासी अवलम डोग्गा (56), टीमापुर की पुनेम जिम्मो (62), मडियम मासे (67), तरेंम की अलवम कोवे (52), टीमापुर की अलवम पोज्जे (70), बुधनी डोढ़ी (60), पदम शन्ता (54), टिमीदी की पेड्डू लक्ष्मी (62) और तरेंम का अलवम सोमे (70) शामिल हैं। इन्हें आंबेडकर अस्पताल के नेत्र विभाग में पृथक वार्ड में इलाज के लिए रखा गया है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि विभागाध्यक्ष डॉ. निधि पांडे के नेतृत्व में नेत्र विशेषज्ञों की टीम ने कहा था, ऐसा किसी और राज्य में नहीं होता। केवल केरल हाईकोर्ट में ही हमने देखा है कि नियमित रूप से (अग्रिम जमानत के लिए) आवेदनों पर सीधे विचार किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी दो व्यक्तियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। इन दोनों ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अग्रिम जमानत के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

दंतेवाड़ा में 13 की आंखों में हुआ था इंफेक्शन
सालभर पहले बीजापुर की तरह दंतेवाड़ा के शिविर में ऑपरेशन कराने वाले 13 लोगों की आंखों में इंफेक्शन हो गया था। उन्हें भी इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल लाया गया था।

तीन सदस्यीय जांच कमेटी
आयुक्त सह संचालक डॉ प्रियंका शुक्ला ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है। यह टीम नेत्र आपरेशन में आई जटिलता के कारणों की जांच एवं घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रकरण की जांच करेगी। इस टीम में राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. निधि अत्रिवाल, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं बस्तर संभाग डॉ. महेश साण्डिया तथा नेत्र सर्जन जिला चिकित्सालय जगदलपुर डॉ. सरिता थॉमस शामिल हैं। यह जांच समिति तीन दिन में अपनी जांच रिपोर्ट को आयुक्त सह संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

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