सीएजी ने पकड़ा एक और घोटाला: मोर आवास बनाने के लिए 187 करोड़ रुपए ज्यादा वसूले, मकान भी दूसरों को अलॉट

पीएम आवास योजना के एक घटक मोर मकान मोर आस योजना के क्रियान्वयन में एक बड़ी गड़बड़ी सीएजी ने पकड़ी है।

Updated On 2025-12-28 09:33:00 IST

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जिया कुरैशी- रायपुर। पीएम आवास योजना के एक घटक मोर मकान मोर आस योजना के क्रियान्वयन में एक बड़ी गड़बड़ी सीएजी ने पकड़ी है। हुआ ये है कि हितग्राहियों से उनके हिस्से के अंशदान से अधिक 187 करोड़ रुपयों से अधिक की राशि वसूल ली गई है। खास बात ये है कि जो राशि सरकार को राज्यांश के रूप में देनी थी, वह राशि हितग्राहियों से वसूल ली गई। यह योजना फरवरी 2022 से शुरू हुई थी। इस दौरान राज्य में कांग्रेस सरकार थी। उसके बाद भी वसूली की राशि नहीं लौटाई गई। सीएजी ने इसे गलत माना है।

गरीबों को लिए बनी योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग परिवारों को 3 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में परिभाषित किया गया है। भागीदारी में किफायती आवास घटक के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग हितग्राहियों को 1.50 लाख केंद्रीय सहायता तथा 2.50 लाख रुपए की राज्य सहायता प्रदान करके लाभ प्रदान करता है और हितग्राही को प्रत्येक आवासीय इकाईयों के लिए केवल 75 हजार रुपए लाख का अंशदान देना तय था।

गरीबों की जगह दूसरों को मिला फायदा
सीएजी की लेखापरीक्षा में पाया गया कि स्लम निवासियों के लिए भागीदारी में किफायती आवास के तहत स्वीकृत आवासीय इकाईयों का आवंटन गैर-स्लम निवासियों को लाभ देने के लिए बुनियादी पात्रता मानदंडों को संशोधित करके मोर मकान मोर आस के तहत आवंटित किया गया था। इस प्रकार, स्लम निवासियों को स्थानांतरित करने की योजना का मुख्य उद्देश्य विफल हो गया क्योंकि स्लम निवासियों के लिए भागीदारी में किफायती आवास के तहत स्वीकृत आवासीय इकाईयों का 59 प्रतिशत गैर-स्लम निवासियों को व्यप्वर्तित या आवंटित किया गया था। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत प्रदान की गई केंद्रीय सहायता का लाभ इच्छित हितग्राहियों तक नहीं पहुंचा, क्योंकि भागीदारी में किफायती आवास की योजना आरम्भ में राज्य सरकार द्वारा केवल स्लम निवासियों के लिए बनाई गई थी।

ये है सीएजी रिपोर्ट में सामने आए तथ्य
मोर मकान मोर आस दिशानिर्देशों की आगे की जांच से सीएजी को पता चला कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अनुसार मानक 75 हजार रुपए हितग्राही अंशदान के स्थान पर हितग्राहियों को प्रति आवासीय इकाईयों 3 लाख 25 हजार (राज्य के हिस्से के ढाई लाख सहित) का भुगतान करना आवश्यक था। हालांकि, आवासीय इकाईयों की लागत 2.98 लाख से 3.87 लाख रुपए के बीच थी। इसके अतिरिक्त, योजना के दिशा निर्देश राज्य स्तरीय स्वीकृति और निगरानी समिति को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए थे, और न ही केंद्रीय स्वीकृति और निगरानी समिति से अनुमोदन प्राप्त किया गया था। पीएम आवास योजना शहरी की भागीदारी में किफायती आवास घटक के अंतर्गत स्वीकृत 29 हजार 142 आवासीय इकाईयों में से 18 हजार 131 आवासीय इकाईयों को पूर्ण किया गया था। इनमें से मार्च 2025 तक शहरी स्थानीय निकायों द्वारा मोर मकान मोर आस योजना में 10 हजार 903 आवासीय इकाईयां आवंटित की गईं। योजना के तहत आवंटित आवासों के लिए हितग्राहियों का अंशदान प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी में 16 प्रतिशत (0.75 लाख) के स्थान पर 68 प्रतिशत (3.25 लाख) था। इस प्रकार, अंशदान का अधिक हिस्सा हितग्राहियों से वसूल किया गया और राज्य के हिस्से के अंशदान का भार भी हितग्राहियों पर स्थानांतरित कर दिया गया। 11 शहरी स्थानीय निकायों में, मार्च 2025 तक 10.903 हितग्राहियों को आवासीय इकाईयों के आवंटन के विरुद्ध 187.76 करोड़ रुपए का अतिरिक्त अंशदान प्राप्त किया गया।

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