स्नाइपर डॉग राजू को याद कर रहे जवान: इनकी जान बचाने दे दी अपनी कुर्बानी, ब्लास्ट में हुआ था शहीद, कैंप के सामने बनाया स्मारक
बीजापुर में स्नाइपर डॉग राजू नक्सल विरोधी अभियान के दौरान जवानों को बचाने के लिए खुद IED के ऊपर बैठ गया और ब्लास्ट में वह शहीद हो गया।
स्नाइपर डॉग राजू का स्मारक
गणेश मिश्रा- बीजापुर। नक्सल प्रभावित इलाकों में जवान जब नक्सल ऑपरेशन पर या गस्त पर जाते हैं तो उनके साथ एक स्नाइपर डॉग होता है। स्नाइपर डॉग सड़क पर नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईडी को खोज निकालता है और उसे निष्क्रिय कर नष्ट करने में जवानों की मदद करता है। आज हम आपको ऐसे ही एक बहादुर स्नाइपर डॉग की कहानी बताने जा रहे हैं। स्नाइपर डॉग राजू ने कई जवानों और ग्रामीणों की जान बचाई और अंत में नक्सलियों द्वारा लगाए गए IED की चपेट में आकर शहीद हो गया।
बीजापुर का घोर नक्सल प्रभावित इलाका पीडिया से लगा हुआ गांव मुदवेंदी है। जहां सीआरपीएफ 85 बटालियन के जवानों का कैम्प स्थापित है। यहां CRPF जवानों के साथ एक स्नाइपर डॉग राजू हमेशा नक्सल विरोधी अभियान में कदम से कदम मिलाकर चला करता था। इस स्नाइपर डॉग ने उसे इलाके में नक्सलियों द्वारा लगाए गए करीब 35 IED की पहचान कर उसे निष्क्रिय और नष्ठ करने में अहम भूमिका निभाते हुए कई जवानों और ग्रामीणों की जान बचाई। 30 दिसंबर 2024 को एक नक्सल विरोधी अभियान के दौरान जब राजू जवानों के साथ चल रहा था। इसी दौरान जंगल के करीब एक पेड़ के नीचे उसने IED की पहचान की। लेकिन वो जवानों को IED होने का ईशारा नहीं कर पाया और जवानों को बचाने के लिए खुद IED के ऊपर बैठ गया। IED पर बैठते ही ब्लास्ट के साथ वह टुकड़ों में बट गया और शहीद हो गया।
कैंप के सामने बनाया गया है स्मारक
इस स्नाइपर डॉग की बहादुरी और वीरता ऐसी थी कि जवान आज भी उसे भूल नही पाते हैं। उसकी याद में कैंप के ठीक सामने एक स्मारक बनाया गया है। जिसमें उसकी तस्वीर भी बनाई गई है। आज भी कैंप के जवान बहादुर स्नाइपर डॉग राजू को याद कर आंखें नम कर लेते हैं और कहते हैं कि अगर वह ना होता तो इस इलाके में गस्त के दौरान कई जवान शहीद हो चुके होते।