गोवर्धन पूजा विशेष: गौ माता की शोभा बनी ‘माला सुहाई’, गाय सजावट प्रतियोगिताएं भी होंगी आयोजित
बलौदाबाजार जिले में दीपावली और गोवर्धन पूजा पर ग्रामीण यादव परिवारों में गायों को सजाने की परंपरा जीवंत है। मोरपंख, मोती और झुनझुनों से सजी ‘माला सुहाई’ आकर्षण का केंद्र बन रही।
‘माला सुहाई’ पहनी हुई गौ माता
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इस परंपरा को जीवंत रखने के लिए आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गायों को सजाने की परंपरा बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाई जाती है। इसी कड़ी में इन दिनों गायों को पहनाई जाने वाली माला सुहाई विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
दीपावली, गोवर्धन पूजा और गौ पूजन जैसे धार्मिक अवसरों पर ग्रामीण यादव परिवार श्रद्धा से गायों के लिए रंग-बिरंगी माला सुहाई तैयार करती हैं। यह माला विशेष रूप से मोरपंख, मोतियों, झुनझुनों, रेशमी धागों और रंगीन कपड़ों से सजाई जाती है। गायों की गर्दन और सींगों पर जब यह माला पहनाई जाती है, तो उनका रूप निखर उठता है।
गाय को सजाकर पूजन करने से घर में आती है सुख-समृद्धि
माला सुहाई केवल सजावट का साधन नहीं, बल्कि गौ माता के प्रति सम्मान और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि, गाय को सजाकर पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में सौभाग्य का वास होता है। कई जगहों पर इस अवसर पर गाय सजावट प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिनमें ग्रामीण उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
सोहरई करमा महोत्सव में शामिल हुए सीएम साय
वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के ग्राम कण्डोरा में आयोजित सोहरई करमा महोत्सव 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर समाज और संस्कृति के प्रति अपनी गहरी आस्था व्यक्त की। इस अवसर पर उन्होंने अखिल भारतीय रौतिया समाज विकास परिषद (छत्तीसगढ़ प्रांतीय शाखा) द्वारा निर्मित रौतिया समाज के सामुदायिक भवन (कुनकुरी) का लोकार्पण किया और ग्राम पंचायत कण्डोरा में 50 लाख रुपए की लागत से नए रौतिया भवन निर्माण का भूमिपूजन किया।
करमा महोत्सव हमारी संस्कृति का जीवंत प्रतीक- मुख्यमंत्री साय
मुख्यमंत्री ने कहा कि करमा महोत्सव हमारी प्राचीन और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है, जो हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और सामाजिक एकता का संदेश देता है। उन्होंने बताया कि यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सामुदायिक एकता और संस्कृति का उत्सव है, जो समाज को जोड़ता है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ग्राम कण्डोरा में करमा अखरा निर्माण के लिए 50 लाख रुपए और रायपुर स्थित रौतिया भवन पहुँच मार्ग के लिए 25 लाख रुपए की घोषणा की, कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने वीर शहीद बख्तर साय और मुण्डल सिंह के चित्रों पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
विकास की दिशा में बड़े ऐलान
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों को तेज़ी से लागू कर रही है। पहली कैबिनेट बैठक में 18 लाख प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए, महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह ₹1000 सहायता दी जा रही है, तेंदूपत्ता संग्राहकों की आमदनी बढ़ाकर ₹5500 प्रति बोरा कर दी गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक 'विकसित छत्तीसगढ़' बनाने का लक्ष्य रखा गया है और इसी दिशा में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और जिले में जल्द ही मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, और फिजियोथेरेपी केंद्र की स्थापना की जाएगी।
नक्सल उन्मूलन और शांति स्थापना पर जोर
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है, उन्होंने कहा केवल दो दिन पूर्व 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में वापसी की है, यह राज्य के लिए शांति और विकास की दिशा में बड़ी सफलता है।
करमा पूजा और लोकनृत्य से उत्सवमय हुआ माहौल
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साय ने पारंपरिक रीति से करम वृक्ष की पूजा-अर्चना की और मांदर की थाप पर करमा नर्तक दलों के साथ नृत्य कर माहौल को उत्सवमय बना दिया साथ ही उनकी धर्मपत्नी कौशल्या साय भी इस अवसर पर उपस्थित रही। सोहरई करमा महोत्सव रौतिया समाज की सांस्कृतिक पहचान है, जो गोवर्धन पर्व के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस वर्ष के आयोजन में छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से आए 52 मंडलों के नर्तक दलों ने हिस्सा लिया और विविध लोकनृत्य और गीतों ने पूरे वातावरण को उत्सव और उल्लास की भावना से भर दिया।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में सांसद राधेश्याम राठिया, रौतिया समाज विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ.पी. साय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दामोदर सिंह, महासचिव आजाद सिंह, केंद्रीय संगठन मंत्री भुनेश्वर केसर, महिला सदस्य उमा देवी सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।