आयुष्मान स्वास्थ्य योजना: क्लेम प्रोसेसिंग के लिए टीपीए जल्द, ऑडिट एजेंसी का अब तक पता नहीं

आयुष्मान योजना में निजी अस्पताल से आने वाले क्लेम प्रोसेसिंग के लिए थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन के लिए नई एजेंसी शीघ्र तय किए जाने की संभावना है।

Updated On 2025-10-26 13:52:00 IST

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रायपुर। आयुष्मान स्वास्थ्य सहायता योजना में निजी अस्पताल से आने वाले क्लेम प्रोसेसिंग के लिए थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन के लिए नई एजेंसी शीघ्र तय किए जाने की संभावना है। स्वास्थ्य योजना की स्टेट नोडल एजेंसी इस प्रक्रिया में जुटी है, मगर इसके पहले क्लेम को क्रास चेक करने संस्था तय करने का काम शुरू नहीं हो पाया है। इसकी वजह से जिला स्तर पर नॉन मेडिकल कर्मचारी मनमाने तरीके से ऑडिट कर रहे हैं। संस्था नहीं मिलने की वजह से अगस्त में निरस्त की गई शहीद वीरनारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के तहत निजी अस्पतालों से इलाज के बाद आने वाले भुगतान के दावों की प्रक्रिया पूरी करने टीपीए कंपनी तय करने के लिए प्रक्रिया सितंबर में पुनः शुरू हो गई है। एजेंसी तय करने का काम इस माह के अंतिम दिनों में पूरी होने की संभावना है।

सूत्रों का मानना कि, क्लेम प्रोसेसिंग का काम पूरा करने - के लिए एजेंसी मिल जाएगी मगर इसके पहले अस्पतालों में जाकर किए गए इलाज के दावों की जांच करने डाक्टरों की व्यवस्था करने वाली संस्था तय करने का काम अब तक शुरू नहीं किया गया है। इसकी वजह से मनमानी किए जाने की शिकायत भी सामने आ रही है। सूत्रों का कहना है कि ऑडिट का काम योजना से जुड़े जिला स्तर के कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा है नॉन मेडिकल होने के बाद भी उपचार की बारीकियों पर भी सवाल खड़े कर ऑडिट की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं।

मिल चुका है पुरस्कार
पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सम्मेलन में इस योजना का संचालन करने वाली स्टेट नोडल एजेंसी के अधिकारियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया गया है। उस दौरान फाल्स क्लेम के लिए फील्ड ऑडिट किए जाने के दावे किए गए थे। इसके बाद विभागीय स्तर पर ऑडिट का काम जिला स्तर की टीम को दे दिया गया जहां से शिकायत आने का दौर शुरू हो गया।

दबी जुबान में शिकायत भी
भुगतान के लिए आने वाले दावों की ऑडिट के लिए जाने वाली जांच टीमों के खिलाफ निजी अस्पतालों द्वारा दबी जुबान में शिकायत भी की जा रही है। आरोप यह भी है कि अस्पतालों तक पहुंचने वाले जांच अधिकारी केस की गंभीरता देखने के बजाए अपनी डिमांड पर ध्यान दे रहे हैं। राज्य में संचालित 90 फीसदी निजी अस्पतालों का संचालन आयुष्मान योजना के भरोसे हो रहा है। वहां पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज इस योजना के हितग्राही है। वहीं कुछ बड़े अस्पतालों ने विवादों से बचने के लिए इस योजना से ही खुद को दूर कर लिया है।

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