प्रसव होते ही हार्ट फेल: 7 विभाग के चिकित्सकों ने 65 दिनों तक इलाज कर बचाई जान

एम्स रायपुर वीए-ईसीएमओ तकनीक का प्रयोग करते हुए एक नवप्रसूता की जान बचाई गई।

Updated On 2025-10-31 11:21:00 IST

File Photo 

रायपुर। एम्स रायपुर वीए-ईसीएमओ तकनीक का प्रयोग करते हुए एक नवप्रसूता की जान बचाई गई। उन्नत क्रिटिकल केयर और बहु-विषयक टीमवर्क से 65 दिनों के अथक प्रयास के बाद महिला की जान बचाई जा सकी। इसके साथ ही एम्स प्रदेश का पहला सरकारी संस्थान बन गया है, जहां वीनो-आर्टेरियल एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन का प्रयोग किया गया।

प्रबंधन के मुताबिक, एक 35 वर्षीय महिला उच्च जोखिम गर्भावस्था से गुजर रही थी। प्रसव के तुरंत बाद पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी अर्थात जीवन-घातक हृदय विफलता से पीड़ित हो गई। जब सामान्य उपचार असफल रहे तब एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर मेडिसिन, सीटीवीएस, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रो-सर्जरी और नर्सिंग सेवाओं की टीम ने उन्हें ईसीएमओ पर रखा और उन्नत किडनी सपोर्ट प्रदान किया।

अस्थायी रूप से काम संभालती है यह मशीन
गंभीर जटिलताओं के बावजूद सभी विभागों की मदद से रोगी की स्थिति धीरे-धीरे सुधरी और 65 दिनों में आईसीयू में रखने के बाद उन्हें सफलतापूर्वक वेंटिलेटर से हटा दिया गया। गौरतलब है कि ईसीएमओ एक अत्याधुनिक जीवनरक्षक तकनीक है। इसका उपयोग तब किया जाता है, जब हृदय या फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं और अन्य सभी उपचार विफल हो जाते हैं। यह मशीन अस्थायी रूप से इन अंगों का कार्य संभालती है, जिससे मरीज को स्वस्थ होने का महत्वपूर्ण अवसर मिलता है।

ये डॉक्टर रहे शामिल
यह केस डॉ. सुभ्रता सिंघा और डॉ. चिन्मय पांडा के नेतृत्व में प्रबंधित किया गया। उनके साथ विशेषज्ञ सलाहकार डॉ. नितिन कश्यप, डॉ. प्रणय मेसरे, डॉ. रमेश चंद्राकर, डॉ. विनय राठौर, डॉ. सौविक पॉल और डॉ. विनिता सिंह शामिल रहे।

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