बिहार चुनाव 2025: महुआ से चुनाव लड़ेंगे तेज प्रताप यादव, JJD ने जारी की 21 उम्मीदवारों की सूची

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल की पहली उम्मीदवार सूची जारी की है। तेज प्रताप खुद महुआ सीट से चुनाव लड़ेंगे। यह फैसला बिहार की राजनीति में नया समीकरण तैयार कर रहा है।

Updated On 2025-10-13 18:30:00 IST
महुआ से चुनाव लड़ेंगे तेज प्रताप यादव।

Janshakti janta dal candidate list: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीति में एक बड़ा मोड़ देखने को मिला है। आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) की 21 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इस सूची में सबसे बड़ा नाम खुद तेज प्रताप यादव का है, जिन्होंने महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

महुआ से दोबारा मैदान में तेज प्रताप

महुआ सीट तेज प्रताप यादव के लिए खास रही है, क्योंकि उन्होंने साल 2015 में यहीं से राजनीति की शुरुआत की थी और पहली बार विधायक बने थे। अब वे एक बार फिर इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। उनके इस फैसले से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है, क्योंकि यह वही सीट है, जो आरजेडी के गढ़ के रूप में जानी जाती है।

युवाओं और नए चेहरों पर फोकस

जनशक्ति जनता दल की ओर से जारी की गई इस सूची में कई नए और युवा चेहरों को मौका दिया गया है। पार्टी ने दावा किया है कि वह जाति और परिवारवाद की राजनीति से ऊपर उठकर जनता के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। तेज प्रताप यादव ने कहा कि उनका लक्ष्य युवाओं को राजनीति में नई दिशा देना और बिहार को विकास की राह पर आगे बढ़ाना है।

जनशक्ति जनता दल जनता की आवाज बनेगी – तेज प्रताप

तेज प्रताप ने कहा, “हमारी पार्टी आम लोगों की आवाज बनेगी। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी जैसे मुद्दों पर हम सीधे जनता के बीच जाकर काम करेंगे।”

उन्होंने बताया कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है और जनशक्ति जनता दल उस बदलाव की दिशा में पहला कदम है।

नया सियासी समीकरण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप यादव का यह कदम आरजेडी के लिए चुनौती बन सकता है। यह न केवल महुआ सीट पर दिलचस्प मुकाबला तैयार करेगा, बल्कि यादव वोट बैंक में भी नया समीकरण खड़ा कर सकता है।

तेज प्रताप का यह फैसला साफ संकेत देता है कि वे अब अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाने के मिशन पर हैं। बिहार की राजनीति में यह एक नई कहानी की शुरुआत हो सकती है।

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