बिहार चुनाव 2025: महिला वोटर के हाथ सत्ता की चॉबी; इस बार किसके सिर सजेगा ताज?

बिहार चुनाव 2025 में महिला मतदाता फिर निर्णायक भूमिका में हैं। नीतीश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तेजस्वी के लुभावने वादे और PM मोदी की भावनात्मक अपील आधी आबादी को साधने का जतन है।

Updated On 2025-09-03 17:54:00 IST

बिहार चुनाव 2025: महिला वोटर के हाथ सत्ता की चॉबी; इस बार किसके सिर सजेगा ताज? 

Women Voters in Bihar Election : बिहार में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीके से चुनावी समीकरण साधने में जुटी हैं। केंद्र बिंदु में हैं साढ़े 3 करोड़ से ज्यादा बिहार की महिला वोटर। क्योंकि घरों की रसोई और दफ्तरों में रहने वाली ये महिलाएं बड़ी खामोशी से मतदान कर सत्ता की दशा और दिशा तय करती रही हैं। 2010 के बाद बिहार के हर चुनाव में कमोवेश महिला वोटर्स की भूमिका पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सशक्त रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम और शराबबंदी नीति ने उन्हें बेहद पॉपुलर बनाया है। आर्थिक नुकसान के बावजूद नीतीश की यह नीति सामाजिक बदलाव का वाहक बनी है।

महिला सशक्तिकरण या चुनावी निवेश?

नीतीश सरकार ने इस बार भी मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के तहत हर परिवार में एक महिला को ₹10,000 की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। सितंबर से उनके बैंक खातों में राशि भी आने लगेगी। चुनाव से चंद माह पहले यह स्कीम बीजेपी जेडीयू के लिए फायदेमंद साबित होगी।

राजद-कांग्रेस महागठबंधन ने भी माई-बहन मान योजना के तहत हर महिला को ₹2,500 मासिक सहायता देने का ऐलान किया है। उन्होंने विधवा, बुजुर्गों और विकलांग महिलाओं को ₹1,500 पेंशन और ₹500 में गैस सिलेंडर देने की घोषणा भी की है। इसके अलावा बेटी के लिए जन्म से रोज़गार तक सरकारी देखभाल, आवासीय कोचिंग, खेल प्रशिक्षण, मुफ़्त परीक्षा फॉर्म और यात्रा सुविधा का वादा किया है।

कितनी कारगार होगी PM मोदी की भावुक अपील? 

राजनीतिक पार्टियां सिर्फ लाभाकरी योजनाओं तक सीमित नहीं हैं, भावनात्मक भाषण के जरिए भी महिलाओं को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दिवंगत माँ के कथित अपमान को बिहार की हर माँ-बहन के अपमान से जोड़कर भावनात्मक अपील की है। इसका सीधा असर महिला वोटर्स के मनो मस्तिष्क पर पड़ रहा है।

कैश ट्रांसफर स्कीम ने दिखया कमाल 

नकद हस्तांतरण योजनाएं चुनाव जीतने का बड़ा हथियार बन चुकी हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र में इसका शानदार रिजल्ट देखने को मिले हैं। पश्चिम बंगाल की 'लक्ष्मी भंडार' और झारखंड की 'मैया सम्मान योजना' भी इसका सटीक उदाहरण हैं। बिहार में भी इसी फॉर्मूला से महिला वोट बैंक को साधने की होड़ मची है।

बिहार में चुनाव-दर-चुनाव बढ़े महिला वोट 

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों की अपेक्षा अधिक मतदान किया। इस चुनाव में 60% महिलाओं और 54% पुरुषों ने वोट डाले थे। इसी तरह 2015 के चुनाव में 60% महिलाओं ने मतदान किया। जबकि, पुरुषों का मतदान प्रतिशत 50% रहा। 2010 में भी महिलाओं का मतदान का प्रतिशत (54%) पुरुषों के मतदान (51%) से अधिक था।

महिलाओं के दम पर NDA को मिली जीत 

 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन के बीच दिलचस्प मुकाबला रहा। बिहार की जिन 167 सीटों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने वोट डाले। उनमें से ज्यादातर NDA जीती। यानी महिलाओं के दम पर ही बीजेपी-जेडीयू सरकार बनी थी।  

महिला वोटर चुनावी समीकरण का ब्लैकबॉक्स

बिहार जैसे जातीय राजनीति-प्रभावित राज्य में महिला वोटर ऐसा समूह हैं, जो जाति-धर्म और पारिवारिक दबावों से परे जाकर वोट कर सकती हैं। वे चुपचाप मतदान करती हैं, लेकिन उनका असर गूंजता है मतगणना के दिन।

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