ब्रिटेन में जारी हुए नेताजी से जुड़े गोपनीय पत्र, खुलेंगे कई राज!
इनमें रूसी सरकार से जुटाए गए कुछ खुफिया कागजात भी शामिल हैं।;

लंदन. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आखिरी दिनों और उनकी मौत को लेकर 70 साल पुराने रहस्य पर रोशनी डालने वाले दस्तावेजों का नया सेट लंदन जारी किया गया। जिसमें नेताजी के पता-ठिकाने पर भारत और रूस की सरकारों के बीच गोपनीय पत्र शामिल हैं।
ब्रिटेन के स्वतंत्र पत्रकार और बोस के पौत्र आशीष रे द्वारा चरणबद्ध तरीके से जारी किए जाने वाले दस्तावेज इस प्रचलित धारणा को दर्शाते हैं कि बोस 1945 में सोवियत संघ आये थे जो रिकॉर्डों के अनुसार उनकी मृत्यु का साल है। ये दस्तावेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने के आखिर में होने वाली प्रस्तावित मॉस्को यात्रा से पहले आये हैं। रे के दावे के अनुसार इसमें ताइवान, जापान, पाकिस्तान, ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार तथा ब्रिटिश लाइब्रेरी में एकत्रित किए गए दस्तावेज शामिल हैं।
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इनमें भारतीय और रूसी सरकारों से जुटाए गए और कुछ खुफिया कागजात भी हैं। इस हफ्ते जारी दस्तावेजों के पहले सेट में मॉस्को में भारतीय दूतावास और रूसी विदेश मंत्रालय के बीच दो आधिकारिक पत्रों को दर्शाने का दावा किया गया है। 16 सितंबर, 1991 की तारीख वाले पहले पत्र में रूस की सरकार से अनुरोध किया गया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में रोशनी डालने वाली कोई भी सामग्री साझा करें। जनवरी 1992 में मिले जवाब में कहा गया कि सेंट्रल और रिपब्लिकन अभिलेखागारों के आंकड़ों के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 1945 में और उसके बाद सोवियत संघ में रहने के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
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