Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी व्रत की पौराणिक कथा, शुभ मुहूर्त; पारण समय और पूजा विधि

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी 21 और 22 जून को मनाई जाएगी। जानिए व्रत की कथा, पूजा विधि, पारण समय और इसका महत्व। भगवान विष्णु की कृपा पाने का उत्तम अवसर।

Updated On 2025-06-20 15:40:00 IST

Yogini Ekadashi 2025: आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी व्रत धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष व स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस वर्ष योगिनी एकादशी का व्रत दो अलग-अलग दिन मनाया जा रहा है। गृहस्थों के लिए यह व्रत 21 जून (शनिवार) को होगा। जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग 22 जून (रविवार) को व्रत करेंगे। यहां जानें शुभ मुहूर्त से लेकर व्रत कथा और पारण का समय।

योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा
एक समय की बात है, जब धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से योगिनी एकादशी का महत्व पूछा। भगवान ने बताया कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को 80,000 ब्राह्मणों को अन्नदान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

कथा के अनुसार स्वर्ग के राजा कुबेर के फूलवाहक हेम माली को उसकी गलती के कारण श्राप मिला और वह धरती पर कोढ़ी बन गया। बाद में महर्षि मार्कंडेय की सलाह पर हेम माली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसे न केवल रोगमुक्ति मिली, बल्कि पुनः स्वर्ग और पत्नी का साथ भी प्राप्त हुआ।

योगिनी एकादशी 2025 तिथि व समय

तिथि

समय और दिनांक

एकादशी तिथि प्रारंभ

21 जून 2025, सुबह 07:18 बजे

एकादशी तिथि समाप्त

22 जून 2025, सुबह 04:27 बजे

हरिवासर समाप्त

22 जून 2025, सुबह 09:41 बजे

गृहस्थ व्रत तिथि 21 जून, शनिवार

वैष्णव व्रत तिथि 22 जून, रविवार


गृहस्थ पारण 22 जून, दोपहर 01:47 बजे से 04:35 बजे तक

वैष्णव पारण 23 जून, सुबह 05:24 बजे से 08:12 बजे तक

व्रत विधि और पूजा उपाय

  • व्रती को एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
  • व्रत के दौरान भजन-कीर्तन और व्रत कथा सुनना/पढ़ना अति शुभ होता है।
  • रातभर जागरण और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना पुण्यदायक होता है।
  • द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण फलाहार या सात्विक भोजन से किया जाता है।

योगिनी एकादशी व्रत के लाभ

  • पापों का शमन होता है
  • रोगों से मुक्ति मिलती है
  • स्वर्ग की प्राप्ति संभव होती है
  • मोक्ष की ओर अग्रसर करता है
  • मानसिक शांति और भक्ति में वृद्धि

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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