Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा आज, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में करें व्रत और पूजन

शरद पूर्णिमा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में 7 अक्टूबर को मनाई जा रही है। जानें शुभ संयोग।

Updated On 2025-11-20 20:13:00 IST

शरद पूर्णिमा 2025

Sharad Purnima 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग में सोमवार को मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा को को जागरी व्रत पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमने आती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पं. रामजीवन दुबे ने बताया कि अश्विन शुक्ल पक्ष को व्रत पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जा रहा है। मान्यता है, कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ महारास रचाते हैं। इसके साथ ही इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होने को लेकर एक किवदंती भी प्रसिद्ध है। इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रातः काल में खाने का विधि-विधान है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से हो गई। इसका समापन 7 अक्टूबर को सुबह को 9 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदया तिथि के चलते स्नान-दान पूर्णिमा 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसी दिन वाल्मीकि जंयती भी मनाई जाएगी।

चंद्र उदय के दर्शन के लिए महिलाओं को करना होगा इंतजार

शारदीय नवरात्रि से ही त्योहारी सीजन की शुरुआत हो गई है। शरद पूर्णिमा के बाद, इस बार 10 अक्टूबर को करवा चौथ है। इस दिन सिद्धि और कुमार योग का शुम संयोग बन रहा है। मां चामुंडा दरबार के पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि सुहागिनों का सबसे खास करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सिद्धि और कुमार योग का शुभ योग बन रहा है। कुमार योग के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे शिक्षा या व्रत आदि करने से विशेष लाभ मिलता है।

उन्होने बताया कि 80 साल बाद इस साल करवा चौथ के दिन वृष लग्न का दुर्लभ योग बन रहा है। इस अवधि में चंद्रमा अपनी नीच राशि कर्क में होगा जबकि सूर्य और शुक्र ग्रह तुला राशि में होंगे। इस बार चंद्रमा उदय के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। पंचांग के अनुसार करवाचौथ पर रात 9 बजकर 20 मिनट पर चंद्रोदय होगा। चंद्र दर्शन के बाद महिलाएं पति के हाथ से जल पीकर व्रत को पूर्णता प्रदान करेंगी।

सामूहिक पूजा का विधान

करवा चौथ को सबसे बड़ा माना गया है, इस दिन महिलाएं निर्जल उपवास रखती हैं। शाम को सूर्यास्त के पश्चात प्रदोषकाल में चौथ माता, भगवान गणेश तथा करवे की पूजा की जाती है। रात को चंद्रोदय के उपरांत चंद्रमा को अर्ध्य प्रदान कर पति के हाथों करवे से जल पीकर व्रत को पूर्णता प्रदान की जाती है।

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