सावन प्रदोष व्रत 2025: शिव कृपा पाने का विशेष योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सावन में 22 जुलाई 2025 को प्रदोष व्रत है। जिसे सावन प्रदोष व्रत कहा जाता है। यहां जानें भौम प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शिव कृपा पाने के खास उपाय।

Updated On 2025-07-17 21:11:00 IST

Sawan Pradosh Vrat: सावन के पावन महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना काफी शुभ माना जाता है। इस माह में श्रद्धालु जलाभिषेक, व्रत, जप और आराधना के माध्यम से शिवजी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वहीं इस महीने प्रदोष व्रत भी है, जो त्रयोदशी तिथि को आता है। यह दिन शिवभक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने से न केवल कष्टों का निवारण होता है, बल्कि चंद्र, मंगल और शनि ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी शांत होते हैं। यहां जानें ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम जी महाराज के प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को पड़ रही है। इस दिन श्रद्धालु भौम प्रदोष व्रत का पालन करेंगे, जो विशेष रूप से मंगल दोष निवारण के लिए लाभकारी माना जाता है।

सावन प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: सुबह 7:06 बजे, 22 जुलाई से

प्रदोष काल में पूजा का समय: सूर्यास्त के बाद

सुबह पूजा मुहूर्त: 5:30 बजे से 8:00 बजे तक

भौम प्रदोष व्रत का महत्व

भौम प्रदोष, मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत होता है। यह शिव पूजा के साथ-साथ मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए भी किया जाता है। विशेष रूप से संतान सुख, भूमि विवाद, वैवाहिक जीवन की परेशानियों और मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए यह व्रत अत्यंत उपयोगी होता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान और संकल्प

व्रत रखने वाले व्यक्ति को प्रातः जल्दी उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव मंदिर या घर के पूजन स्थल पर विराजें।

शिव पूजन की शुरुआत

भगवान शिव का अभिषेक करें। गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर मिलाकर पंचामृत तैयार करें और शिवलिंग पर चढ़ाएं। फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।

पूजन सामग्री

बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, फल और मिठाई भगवान शिव को अर्पित करें।

दीपक जलाएं और धूप-दीप से आराधना करें।

“ॐ नमः शिवाय” का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।

प्रदोष कथा और आरती

पूजन के बाद प्रदोष व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

सावधानी और विशेष ध्यान योग्य बातें

  • व्रत के दौरान संयम और सात्विकता का पालन करें।
  • मांस, मद्य और तामसिक भोजन से परहेज रखें।
  • यदि संभव हो तो दिनभर उपवास करें, या फलाहार लें।
  • प्रदोष काल की पूजा को ही सर्वश्रेष्ठ फल देने वाला माना जाता है, अतः इस समय पूजा करना न भूलें।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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