Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी पर क्या करें और क्या न करें, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

Sankashti Chaturthi 2025: आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी 14 जून 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। यहां जानें संकष्टी चतुर्थी पर क्या करें और क्या न करें? पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय।

Updated On 2025-06-13 18:10:00 IST

Sankashti Chaturthi 2025: आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी 14 जून 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। यह पावन तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित है, जो कि विघ्नों को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजित हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

कब है संकष्टी चतुर्थी व्रत?
पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 जून को दोपहर 3:46 बजे से शुरू होकर 15 जून को दोपहर 3:51 बजे तक रहेगी। चूंकि तिथि का प्रारंभ 14 जून को हो रहा है, इसलिए इसी दिन व्रत और पूजा करना उचित रहेगा।

पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:02 से 4:43 बजे तक
  • शुभ मुहूर्त: सुबह 7:07 से 8:52 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:54 से 12:49 बजे तक
  • निशीथ काल: रात 12:01 से 12:42 बजे तक

इसके अलावा इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जो इस व्रत को और अधिक फलदायी बनाते हैं।

चंद्रोदय का समय
व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया जाता है। 14 जून की रात 10:07 बजे चंद्रमा उदित होगा। इस समय श्रद्धालु अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण कर सकते हैं।

कैसे करें संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा?

प्रातः काल स्नान और संकल्प
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़ा पहनें। इसके बाद पूजा स्थल को शुद्ध कर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।

मंत्र जाप और ध्यान
दिनभर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ भालचंद्राय नमः’ मंत्र का जप करें। ध्यान और व्रत में संयम बनाए रखें।

सांध्यकालीन पूजा
शाम को दोबारा स्नान करें और प्रदोष काल में या चंद्रोदय से पूर्व भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा में दूर्वा, लाल फूल, मोदक, तिल के लड्डू, धूप-दीप और फल अर्पित करें।

व्रत कथा और आरती
संकष्टी चतुर्थी की कथा सुनें या पढ़ें। फिर गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में 108 बार ‘ॐ वक्रतुंडाय हुम्’ मंत्र का जाप कर आरती करें।

चंद्रमा को अर्घ्य
रात 10:07 बजे चंद्र दर्शन के पश्चात चंद्रमा को जल अर्पित करें और व्रत का समापन करें।

व्रत में क्या खा सकते हैं?

  • संकष्टी चतुर्थी व्रत में केवल फलाहार या सात्त्विक भोजन करना चाहिए।
  • फल: सेब, केला, पपीता, अनार, अंगूर
  • डेयरी उत्पाद: दूध, दही, पनीर
  • अनाज: साबूदाना, सिंघाड़ा, कुट्टू, शकरकंद
  • अन्य: भुनी मूंगफली, सूखे मेवे, नारियल पानी
  • नमक: केवल सेंधा नमक का उपयोग करें।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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