Rishi Panchami 2025 Vrat Katha: आज है ऋषि पंचमी, जानें व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज 28 अगस्त 2025 को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है । जानें इस व्रत की कथा, पूजा विधि और सप्तऋषियों की पूजा का महत्व।

Updated On 2025-08-28 11:20:00 IST

Rishi Panchami 2025 Vrat Katha

Rishi Panchami 2025 Vrat Katha: आज (28 अगस्त 2025) ऋषि पंचमी है। यह पर्व हर साल हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी के बाद मनाया जाता है। इस दिन महिलांए व्रत रखती है और सप्तऋषियों की पूजा करती है। धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं के अनुसार, यह उपवास महिलाएं मासिक धर्म के दौरान लगने वाले दोषों को दूर करने और उनसे मुक्ति पाने के लिए करती हैं। ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा (Rishi Panchami 2025 vrat katha) का पाठ करना बेहद जरूरी माना जाता है। आइए जानें ऋषि पंचमी की व्रत कथा और पूजा मुहूर्त।  

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami 2025 vrat katha)

सतयुग में विदर्भ नगरी में श्येनजित नामक एक धर्मात्मा राजा हुआ करते थे, जो ऋषियों के समान थे। उसी नगर में सुमित्र नाम का एक कृषक अपनी पत्नी जयश्री के साथ रहता था। जयश्री बहुत पतिव्रता और धार्मिक स्त्री थी। एक बार वर्षा ऋतु में जयश्री खेत में काम कर रही थी, तभी वह रजस्वला (मासिक धर्म में) हो गई। उसे इसका ज्ञान तो हो गया था, फिर भी उसने शुद्ध-अशुद्ध की परवाह किए बिना काम करना जारी रखा।

इस दोष के कारण जब दोनों की मृत्यु हुई, तो जयश्री को कुतिया बनीं और सुमित्र को रजस्वला स्त्री के सम्पर्क में आने के कारण बैल की योनी मिली, क्योंकि ऋतु दोष के अतिरिक्त इन दोनों का कोई अपराध नहीं था। इसी कारण इन दोनों को अपने पूर्व जन्म का समस्त विवरण याद रहा।

उनका बेटा सुचित्र अब बड़ा हो गया था और एक धर्मात्मा था। वह अपने माता-पिता (अब कुतिया और बैल के रूप में) को पालता था। एक दिन श्राद्ध के समय सुचित्र ने ब्राह्मणों को भोजन कराने का आयोजन किया। उसकी पत्नी चन्द्रवती खाना बना रही थी। तभी एक साँप ने खीर के बर्तन में विष डाल दिया।

जयश्री जो अब कुतिया थी, ये सब देख रही थी। उसने अपने बेटे को पाप से बचाने के लिए उस विष वाली खीर में मुंह डाल दिया। लेकिन सुचित्र की पत्नी ने बिना कारण जाने गुस्से में कुतिया को लकड़ी से मार दिया और उसे खाना भी नहीं दिया। कुतिया रात को भूखी-प्यासी अपने पति (बैल) के पास गई और सारी बात बताई। बैल ने भी कहा कि उसे भी मारा गया और खाना नहीं मिला, श्राद्ध का सारा पुण्य नष्ट हो गया।

ये बातें उनका बेटा सुचित्र सुन रहा था, उसने उसी समय दोनों को भरपेट भोजन कराया और फिर वह दुखी होकर वन में गया और ऋषियों से समाधान पूछा। तब सर्वतमा ऋषि बोले तुम इनकी मुक्ति के लिए पत्नीसहित ऋषि पंचमी का व्रत धारण करो तथा उसका फल अपने माता-पिता को दो।

भाद्रपद महीने की शुक्ल पंचमी को मुख शुद्ध करके मध्याह्न में नदी के पवित्र जल में स्नान करना और नए रेशमी कपड़े पहनकर अरूधन्ती सहित सप्तऋषियों का पूजन करना। इतना सुनकर सुचित्र अपने घर लौट आया और अपनी पत्नीसहित विधि-विधान से पूजन व्रत किया। उसके पुण्य से माता-पिता दोनों पशु योनियों से छूट गए। इसलिए जो महिला श्रद्धापूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत करती है, वह समस्त सांसारिक सुखों को भोग कर बैकुंठ को जाती है।

ऋषि पंचमी 2025 पूजा मुहूर्त (Rishi Panchami Puja Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, ऋषि पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त यानी कल दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 28 अगस्त यानी आज शाम 5 बजकर 56 मिनट पर रहेगा। मान्यता है कि, इस दिन सप्तऋषियों की पूजा शुभ मुहूर्त में करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

ऋषि पंचमी पूजा विधि (Rishi Panchami Puja Vidhi)
ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें और पूजा स्थल पर चौकी रखें। चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं और फिर सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें। साथ में एक गंगाजल से भरा कलश भी चौकी पर रख देवें। कलश से जल लेकर सप्तऋषियों को अर्ध्य देवें और धूप-दीप प्रज्ज्वलित करें। अब फल-फूल और नैवेद्य अर्पित करें। सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें क्षमा याचना करें।


डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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