Radhastami 2025: पहली बार रखने जा रहे हैं राधा अष्टमी का व्रत, जानें सही नियम और पूजा मुहूर्त

Radhastami 2025: राधा अष्टमी 2025 व्रत विधि, पूजन मुहूर्त और नियम जानें। राधा रानी के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और प्रेम की प्राप्ति करें।

Updated On 2025-08-30 20:50:00 IST

Radhastami 2025: राधा अष्टमी, विशेष रूप से मथुरा, बरसाना और ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। यह दिन श्री राधा रानी के प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधा अष्टमी का व्रत, विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो राधा रानी के आशीर्वाद से अपने जीवन को प्रेम, सुख और समृद्धि से भरना चाहते हैं।

राधा अष्टमी का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्री कृष्ण के साथ राधा रानी का नाम सर्वोत्तम है क्योंकि कृष्ण तक पहुंचने का मार्ग राधा ही हैं। राधा अष्टमी का व्रत रखने से घर में सौभाग्य, शांति और समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा, विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं, दांपत्य जीवन सुखमय होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करने से राधा-कृष्ण की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और जीवन में भक्ति और प्रेम का संचार होता है।

राधा अष्टमी का पूजन मुहूर्त

राधा अष्टमी व्रत का पूजन 31 अगस्त 2025 को आयोजित किया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 11:05 बजे से 1:38 बजे तक रहेगा। यह विशेष समय भक्तों को राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए उपयुक्त रहेगा।

पहली बार राधा अष्टमी व्रत रखने के लिए नियम

स्नान और वस्त्र: सुबह स्नान कर स्वच्छ पीले या लाल वस्त्र पहनें।

व्रत संकल्प: व्रत का संकल्प लें कि आप इस दिन राधा अष्टमी का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति से करेंगे।

फलाहार: दिनभर फलाहार करें और जल ग्रहण करें। राधा अष्टमी के दिन भोजन से बचें।

कथा और भजन: दिन के समय में राधा-कृष्ण की कथा या भजन सुनें या करें।

क्रोध और नकारात्मकता से बचें: व्रत के दौरान क्रोध, असत्य, अपशब्द और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।

दान-पुण्य: व्रत के दिन दान-पुण्य करना अत्यंत लाभकारी होता है, विशेष रूप से फल, अनाज, और वस्त्र का दान करें।

नमक से परहेज: राधा अष्टमी के दिन नमक का सेवन न करें।

भोग: राधा रानी को मालपुए, मिठाई, रबड़ी, केसर युक्त खीर और फल अर्पित करें।

महालक्ष्मी व्रत में मंत्रों का महत्व

राधा अष्टमी के व्रत में मंत्रों का जाप बहुत महत्वपूर्ण है। राधा रानी को भोग अर्पित करते समय "त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।" इस मंत्र का जप करें।

राधा अष्टमी का व्रत न केवल भक्ति का एक अवसर है, बल्कि यह जीवन में सुख, शांति और प्रेम की प्राप्ति का भी मार्ग है। विशेषकर पहली बार व्रत रखने वाले भक्तों के लिए यह दिन खास महत्व रखता है। अगर इस दिन पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और नियमों का पालन करते हुए पूजा की जाती है, तो जीवन में राधा-कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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