राधा अष्टमी 2025: क्यों चढ़ाया जाता है राधा रानी को अरबी का भोग; जानिए व्रत विधि और लाभ

Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी पर राधा रानी को अरबी का भोग क्यों चढ़ाया जाता है? जानें पूजा विधि, व्रत नियम और लाभ।

Updated On 2025-09-15 16:04:00 IST

राधा अष्टमी 2025: राधा रानी को अरबी का भोग क्यों चढ़ाया जाता है?

लेखक: पंडित राम शुक्ला

राधा अष्टमी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी के जन्म का उत्सव है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

राधा अष्टमी खासतौर पर उत्तर भारत में, विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, बरसाना और गोकुल में धूमधाम से मनाई जाती है। मंदिरों में झूले सजाए जाते हैं, राधा-कृष्ण की झांकियां निकलती हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

राधा अष्टमी व्रत की विधि

  • सुबह जल्दी उठें: स्नान करें और लाल या पीले रंग के साफ वस्त्र पहनें।
  • व्रत का संकल्प: भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • उपवास के नियम: इस दिन केवल फल, दूध, मेवे या पानी लिया जाता है। नमक और अनाज से परहेज करें।
  • नकारात्मकता से बचें: गुस्सा, झूठ, बुरा बोलना या नकारात्मक सोच से दूर रहें।
  • पूजा की तैयारी: घर या पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। राधा-कृष्ण की मूर्ति या चित्र को पवित्र स्थान पर रखें।
  • अभिषेक और सजावट: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक करें। फिर नए वस्त्र, फूल, चंदन, कुमकुम, रोली, धूप-दीप और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
  • मंत्र जाप: "ॐ वृषभानुज्यै विधमहे, कृष्णप्रियायै धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात" मंत्र का जाप करें।
  • व्रत पारण: अगले दिन सात्विक भोजन के साथ व्रत खोलें।

राधा रानी को अरबी का भोग क्यों?

राधा अष्टमी की पूजा में भोग का विशेष महत्व है। खीर, माखन-मिश्री, फल और मिठाई जैसे भोग चढ़ाए जाते हैं, लेकिन अरबी (कंदमूल वाली सब्जी) का भोग खासतौर पर राधा रानी को अर्पित किया जाता है।

मान्यता है कि राधा रानी को अरबी का भोग बहुत प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि यह भोग चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि, उपवास में आमतौर पर कंदमूल नहीं खाया जाता, लेकिन राधा अष्टमी पर अरबी का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

यह परंपरा राधा रानी की विशेष कृपा और उनके प्रति भक्ति को दर्शाती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, अरबी का भोग राधा रानी की सादगी और प्रकृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है, क्योंकि यह एक साधारण, जमीन से प्राप्त होने वाली सब्जी है।

व्रत के लाभ

राधा अष्टमी का व्रत करने से:मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जीवन में सुख-शांति आती है। वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। शादी में देरी, दांपत्य जीवन की समस्याएं या संतान से जुड़ी परेशानियों का समाधान हो सकता है।

राधा अष्टमी का यह पर्व राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। इस दिन पूजा और व्रत से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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