Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष पूर्वजों की कृपा पाने का शुभ समय, जानें तर्पण, पिंडदान और दोष मुक्ति के उपाय

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर से होगी। जानें श्राद्ध की तिथि, तर्पण के नियम, पितृ दोष से मुक्ति के उपाय और शुभ मंत्रों का महत्व।

Updated On 2025-08-24 21:40:00 IST

Pitru Paksha 2025: वेदों और पुराणों में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को स्मरण करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष कर्म, तर्पण और श्राद्ध करते हैं। पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है और इसका समापन 21 सितंबर को अमावस्या तिथि के साथ होगा। यहां जानें पितृ दोष के बारे में सभी जानकारियां।

पितृ पक्ष क्यों है महत्वपूर्ण?

सनातन धर्म के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान किए गए कर्मकांड, जैसे तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध, हमारे पूर्वजों की आत्मा को संतुष्टि प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान हमारे पितृ धरती पर आते हैं और तर्पण या श्राद्ध से प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद देते हैं।

पितृ दोष से कैसे मिले छुटकारा?

पितृ दोष एक ऐसी स्थिति मानी जाती है, जब किसी पूर्वज की आत्मा असंतुष्ट रहती है या उन्हें समय पर तर्पण-श्राद्ध नहीं मिला हो। इसका असर वंशजों पर पड़ता है — विवाह में विलंब, संतान की परेशानी, आर्थिक संकट जैसी समस्याएं होती हैं।

उपाय

पितृ पक्ष में गाय को हरा चारा, गरीबों को भोजन और ब्राह्मणों को दान देने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है। पीपल के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करें। यह उपाय पितरों को अत्यंत प्रिय होता है।

दक्षिण दिशा का विशेष महत्व

वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी गई है। इस दिशा में रोज़ाना दीपक जलाना, विशेषकर पितृ पक्ष के दौरान, पूर्वजों को प्रसन्न करता है। साथ ही घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।

श्राद्ध और तर्पण का नियम

हर व्यक्ति को अपने परिवार के पितरों की तिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। जिनको पितरों की तिथि याद नहीं है, वे सर्वपितृ अमावस्या (21 सितंबर) को श्राद्ध करें। तर्पण के लिए जल में काले तिल, चावल और पुष्प मिलाकर मंत्रों के साथ अर्पण करें।

पितृ पक्ष में बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र

ॐ पितृ देवतायै नम:।

ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

इन मंत्रों का जाप पवित्र भाव से करने से पितृ तृप्त होते हैं।

पितृ पक्ष 2025 की तिथियां

आरंभ: 7 सितंबर (भाद्रपद पूर्णिमा)

समापन: 21 सितंबर (आश्विन अमावस्या/ सर्वपितृ अमावस्या)

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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