Pitru Paksha 2025: भूलकर भी पितृपक्ष में न खरीदें ये 5 चीजें, जानिए क्यों मना करते हैं शास्त्र
Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष 2025 की शुरुआत 8 सितंबर से हो रही है। जानिए इस दौरान कौन-कौन सी वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिए और क्या है इनका धार्मिक महत्व।
Pitru Paksha 2025: इस साल पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) 8 सितंबर 2025 से आरंभ होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा, जो कि आश्विन मास की प्रतिपदा से अमावस्या तक मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, यह समय पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर होता है। इस दौरान तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्म किए जाते हैं ताकि पितृ संतुष्ट होकर अपने वंशजों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दें।
लेकिन इसी अवधि में कुछ वस्तुओं की खरीदारी वर्जित मानी गई है, जिनका उल्लंघन करने पर पितृ नाराज हो सकते हैं और पितृ दोष या जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम जी महाराज से जानिए पितृ पक्ष से जुड़ी जानकारियां।
पितृपक्ष 2025 की अवधि
आरंभ: 8 सितंबर 2025 (आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा)
समापन: 21 सितंबर 2025 (आश्विन अमावस्या)
कुल तिथियां: 14 दिन
पितृपक्ष का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पितृलोक के द्वार खुलते हैं और पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर अपने वंशजों के पास आती हैं। यदि इस समय विधिपूर्वक श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाए, तो पितृ आशीर्वाद प्रदान करते हैं और वंश का कल्याण होता है। इसके विपरीत, यदि इस दौरान अनावश्यक या वर्जित क्रियाएं की जाएं, तो पितृ अप्रसन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन में विघ्न, रोग या आर्थिक संकट जैसे समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पितृपक्ष के दौरान किन वस्तुओं की खरीद से बचना चाहिए?
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम जी महाराज के अनुसार, पितृपक्ष में भोग-विलास, भौतिक सुख-सामग्री की खरीद और शुभ कार्यों से बचना चाहिए। नीचे दी गई वस्तुओं की खरीदारी इस दौरान नहीं करनी चाहिए।
लोहे और नुकीली वस्तुएं न खरीदें
पितृपक्ष में लोहे से बनी वस्तुएं, औजार, छुरी, कैंची, ब्लेड आदि खरीदना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ये वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं और पितृ कृपा बाधित हो सकती है।
नए वस्त्र, आभूषण या लग्जरी सामान की खरीद से बचें
इस समय नए कपड़े, सोने-चांदी के गहने, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, फर्नीचर आदि खरीदना वर्जित माना गया है। यह समय विलासिता नहीं, तपस्या और सेवा भाव का होता है।
नए घर का निर्माण कार्य रोकें
यदि आप नए मकान का निर्माण करवा रहे हैं, तो पितृपक्ष में विशेष रूप से छत की ढलाई या शिलान्यास जैसे कार्यों से बचना चाहिए। यह माना जाता है कि इस समय जमीन से जुड़े कार्यों में पितृ की असहमति हो सकती है।
वाहन या प्रॉपर्टी की खरीद टालें
गाड़ी, जमीन या कोई अन्य मूल्यवान संपत्ति खरीदना भी पितृपक्ष में अनुचित माना गया है। यह समय दैनिक आवश्यकताओं और संयम का है, न कि बड़े निवेश या संपत्ति विस्तार का।
कोई भी मांगलिक कार्य न करें
शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्य इस समय वर्जित हैं। पितृपक्ष में श्रद्धा और स्मृति का भाव प्रधान होता है, न कि उत्सव का।
क्या करें पितृपक्ष के दौरान?
- अपने पितरों की तिथि के अनुसार श्राद्ध करें।
- तर्पण और पिंडदान करें या ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
- जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दान दें।
- मंत्र जाप करें, खासकर “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ पितृ देवाय नमः”।
- अपने पूर्वजों के नाम से पेड़ लगाएं या गौ सेवा करें।
पितृपक्ष एक ऐसा पावन काल है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। इस समय संयम, श्रद्धा और सेवा की भावना को प्रमुखता देनी चाहिए। नए सामान की खरीदारी या निर्माण कार्यों से दूरी बनाए रखना न केवल शास्त्रसम्मत है, बल्कि पूर्वजों की प्रसन्नता और पारिवारिक कल्याण के लिए भी आवश्यक है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
अनिल कुमार