Pitra Dosh Upay: सोमवती अमावस्या पर करें ये काम, मिलेगा दुख-दर्द से छुटकारा!

Pitra Dosh Upay: सोमवती अमावस्या पर पीपल पूजन और 108 परिक्रमा से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। जानें पूजा विधि, मंत्र और शुभ फल प्राप्त करने के उपाय।

Updated On 2025-09-12 20:40:00 IST

Pitra Dosh Upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली का नवम भाव (नवां घर) न केवल धर्म और भाग्य का सूचक होता है, बल्कि यह पूर्वजों की कृपा और उनसे जुड़ी इच्छाओं का प्रतिनिधित्व भी करता है। अगर इस भाव में अशुभ ग्रहों की स्थिति या प्रभाव हो, विशेष रूप से राहु और केतु का, तो इसे पितृ दोष कहा जाता है। यह दोष जीवन में कई प्रकार की रुकावटें और समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। आइए जानते हैं पितृदोष से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और इससे बचने के उपाय।

क्या है पितृ दोष?

पितृ दोष उस स्थिति को कहा जाता है जब कुंडली के नवें भाव में राहु, केतु या अन्य अशुभ ग्रहों की उपस्थिति हो या नवमेश (नवम भाव का स्वामी) उन ग्रहों से पीड़ित हो। यह संकेत करता है कि जातक के पूर्वजों की कुछ इच्छाएं अधूरी रह गई हैं, या उनके कर्मों का बोझ वर्तमान पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा है।

पितृ दोष के संभावित लक्षण

  • शिक्षा में बार-बार रुकावट
  • आजीविका में असफलता
  • मानसिक तनाव या शारीरिक दुर्बलता
  • जीवन में निरंतर संघर्ष

विशेष उपाय से मिलती है मुक्ति

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सोमवती अमावस्या (वह अमावस्या जो सोमवार को आती है) को पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन पीपल वृक्ष और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने से दोष से मुक्ति मिल सकती है।

कैसे करें पीपल की पूजा?

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पास के किसी पीपल वृक्ष के पास जाएं।
  • पीपल को दो जनेऊ अर्पित करें। एक अपने पितरों के लिए और एक भगवान विष्णु के नाम से।
  • 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते हुए 108 बार पीपल की परिक्रमा करें।
  • प्रत्येक परिक्रमा के साथ यथासंभव मिठाई अर्पित करें।
  • परिक्रमा के बाद पीपल वृक्ष और भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि आपके जीवन से पितृ दोष समाप्त हो।
  • जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।

पूजा का फल और लाभ

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस विशेष पूजा से पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में रुके हुए कार्यों में सफलता मिलती है। पारिवारिक शांति और समृद्धि आती है। मानसिक और शारीरिक कष्टों में राहत मिलती है।

धार्मिक मान्यता

धार्मिक रूप से पीपल को देव वृक्ष कहा गया है और इसे विष्णु भगवान का प्रतीक माना गया है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पीपल वातावरण को शुद्ध करने वाला वृक्ष है, और इसके पास ध्यान या परिक्रमा करने से मन को शांति मिलती है।

इस बार कब है सोमवती अमावस्या?

13 अक्टूबर 2025 को वर्ष की अगली सोमवती अमावस्या पड़ रही है। इस दिन लाखों श्रद्धालु पीपल वृक्ष की पूजा कर अपने पूर्वजों को स्मरण करते हैं और पितृ दोष निवारण के लिए विशेष उपाय करते हैं।

यदि जीवन में बार-बार रुकावटें, संघर्ष या मानसिक अशांति बनी रहती है, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। ऐसे में सोमवती अमावस्या का दिन एक अद्भुत अवसर है अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का। श्रद्धा और विधि-विधान से की गई यह पूजा जीवन के कई संकटों को दूर कर सकती है।

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