Nirjala Ekadashi: निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं? अगर हां तो कब और कैसे, जानें नियम

6 जून को गृहस्थ लोग और 7 जून को वैष्णव जन निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे। इस व्रत में अन्न और जल को ग्रहण करना वर्जित होता है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि, 'निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं? अगर पी सकते है तो कब पीना चाहिए? चलिए जानते है-

Updated On 2025-06-06 07:46:00 IST

Nirjala Ekadashi Mein Pani Ke Niyam: पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 6 और 7 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखा जा रहा है। 6 जून को गृहस्थ लोग और 7 जून को वैष्णव जन निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे। निर्जला एकादशी व्रत हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत में अन्न और जल को ग्रहण करना वर्जित होता है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि, 'निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं? अगर पी सकते है तो कब पीना चाहिए? चलिए जानते है-

निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं?

सालभर की 24 एकादशियों में 'निर्जला एकादशी' सबसे कठिन मानी जाती है। कई लोगों का सवाल रहता है कि, निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं? इसका जवाब है 'नहीं'। धर्म विद्वानों का कहना है कि, निर्जला एकादशी के व्रत में दो बार पानी का उपयोग किया जा सकता है। इसमें सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के वक्त और दूसरा व्रत के संकल्प के लिए आचमन करेंगे उस वक्त। स्नान और आचमन के अलावा किसी भी समय इस व्रत में जल उपयोग नहीं होता।

निर्जला एकादशी व्रत में पानी कब पीना चाहिए?

मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत में आचमन के लिए छ: मासे से ज्यादा पानी उपयोग में नहीं लेना चाहिए। अन्न, फल, जूस आदि भी वर्जित रहते हैं। 7 जून को निर्जला एकादशी वैष्णव व्रत रख रहे जातक 8 जून को सूर्योदय के बाद पानी ग्रहण कर सकते हैं। दरअसल, हरि वासर का समापन 7 जून को ही हो जाएगा और 8 जून को सूर्योदय का समय सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर रहेगा। वहीं वैष्णव के व्रत पारण का समय द्वादशी तिथि पर सुबह 07:17 अंतिम होगा।

निर्जला एकादशी पर पानी पीने से क्या होगा?

भूलकर भी निर्जला एकादशी पर पानी पी लिया तो व्रत निष्फल हो जाएगा। पौराणिक कथा के अनुसार, हमेशा भूख से व्याकुल रहने वाले पांच पांडवों में से भीमसेन ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था। यही कारण है कि, इस निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहते हैं। जो भी व्यक्ति इस व्रत को सफलतापूर्वक पूर्ण करता है, भगवान विष्णु की कृपा से उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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