धर्म-संस्कृति : मंत्रों के उच्चारण से पहले क्यों लगाया जाता है "ॐ", जानें इस शब्द का अर्थ और महत्व

हिंदू धर्म में मंत्रों कासबसे ज्यादा महत्व बताया गया है। इन मंत्रों के जाप से पहले ओम शब्द का उच्चारण किया जाता है। इसके पीछे क्या वजह है जानने के लिए पढ़ें पूरा आर्टिकल।

By :  Desk
Updated On 2024-01-27 23:52:00 IST
Mantra Ke Pehle Om Kyon

(रुचि राजपूत)

Mantra Ke Pehle Om Kyon Lagaya Jata Hai : हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई शक्तिशाली मंत्रों के बारे में बताया गया है। हर मंत्र के पहले "ॐ" का उच्चारण किया जाता है। सभी मंत्रों का प्रारंभ "ॐ" से ही होता है। हिन्दू धर्म में शुभ कार्यों के पहले पूजा पाठ के दौरान कई तरह के मंत्रों का जप किया जाता है। इन मंत्रों के उच्चारण के पहले "ॐ" लगाते हैं। मान्यता के अनुसार मंत्र के उच्चारण के दौरान "ॐ" शब्द का प्रयोग करने से नकारात्मकता दूर होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंत्रों के उच्चारण के पहले "ॐ"का उच्चारण आख़िर क्यों किया जाता है। आइए जानते हैं हरदा के रहने वाले पंडित एवं ज्योतिषी धर्मेंद्र दुबे से।

ओम शब्द का अर्थ
"ॐ" शब्द तीन अक्षर से मिलकर बना हुआ है। अ ,उ और म। इस एक शब्द को पूरी सृष्टि का प्रतीक माना गया है।

कठोपन‍िषद में मिलता है वर्णन
कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा के अन्तर्गत है। कठोपनिषद में दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में तीन खंड हैं। इसमें 119 श्लोक हैं। यह उपनिषद भी शांतिपथ से शुरू होता है जो कृष्ण यजुर्वेद के लिए अद्वितीय है।इसी उपनिषद में हर मंत्र के आगे "ॐ" शब्द क्यों लगाया जाता है, इसके बारे में बताया गया है।

इसके अंतर्गत ओम शब्द में वेदों का सार, तपस्वियों और योगियों का सार समाया हुआ है। जब भी हम मंत्रों का जाप करते हैं। तो इसकी शुरुआत "ॐ" से ही करते हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि जब हम किसी मंत्र के पहले "ॐ" लगाते हैं, तो ऐसा करने से उस मंत्री की शक्ति संपन्न हो जाती है, और यह मंत्र पूर्णतयः शुद्ध हो जाता है।

मान्यता है कि बिना "ॐ" के कोई भी मंत्री फलदायी साबित नहीं होता। "ॐ" शब्द लगा लेने से उस मंत्र की शक्ति कई गुना अधिक बढ़ जाती है.

एक अन्य मान्यता के अनुसार यदि हम किसी मंत्र के जाप से पहले ही "ॐ" लगा लेते हैं, तो उस मंत्र के जाप के दौरान हुई गलती मान्य नहीं रह जाती है। वह गलती "ॐ" लगा लेने के बाद शुद्ध हो जाती है।

"ॐ" शब्द का प्रयोग कर लेने से मंत्रों के उच्चारण के दौरान यदि कोई अशुद्धि हुई हो तो व्यक्ति को किसी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता।
 

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