पीपल के वृक्ष में होता है पितरों का वास, सही विधि से करें पूजा, पल में दूर होगी सारी परेशानी

सनातन धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि पीपल की पूजा करने से सभी देवी देवता भी प्रसन्न होते हैं।

By :  Desk
Updated On 2024-01-05 23:38:00 IST
Peepal Ke Ped ki Puja

(कीर्ति राजपूत)

Method Of Peepal Tree Worship : सनातन धर्म में प्राकृति की हर चीज को विशेष महत्व दिया गया है। यही कारण है कि इनकी पूजा की जाती है। पेड़ों में पीपल के पेड़ का खास स्थान है, ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में सभी देवी देवता का वास होता है, अगर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते हैं, पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं या सेवा करते हैं
तो इंसान को कई सारी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है, तो चलिए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से सभी समस्याओं को दूर करने के लिए पीपल की पूजा विधि व सेवा नियम।

पूजनीय है पीपल का वृक्ष
हिंदू धर्म में हमेशा से प्राकृतिक चीजों को पूजनीय माना जाता है और उनकी पूजा करने के साथ-साथ उनका धन्यवाद भी दिया जाता है। इसी प्रकार सभी सनातनी तुलसी के पौधे, पीपल का वृक्ष, केले के वृक्ष और सभी नदियों की भी पूजा करते हैं। 

पीपल में पितरों का होता है वास
धार्मिक मान्यता है कि पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव और पत्तों में नारायण का निवास होता है, साथ ही साथ पीपल के फलों में सभी देवी देवता वास करते हैं। पीपल के वृक्ष में पितृ भी मौजूद होते हैं और ऐसा माना जाता है कि यदि हम पीपल के वृक्ष की पूजा करते हैं तो हमें तीर्थ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

पीपल की पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान आदि से फ्री होने के बाद घर के पास किसी ऐसे मंदिर में जाए जहां पर पीपल का वृक्ष लगा हो। उस मंदिर में जाने के बाद वहां जो भी भगवान मौजूद हैं उन भगवान की पूजा अर्चना करें और उसके बाद उस पीपल के वृक्ष के पास जाएं और वृक्ष के ऊपर गंगाजल या फिर शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद सभी पूजन सामग्री जैसे हल्दी, कुमकुम, चावल, जनेऊ, फूल दीप आदि से पूजा करें। अब प्रसाद चढ़ाएं इसके बाद पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा जरूर करें। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमें पीपल की पूजा सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए।

ध्यान रखें
इस बात का ध्यान रखें कि पीपल के वृक्ष के पास अगर गंदगी है तो उसे साफ कर दें। उसके बाद ही पूजा शुरू करें। कभी भी रविवार के दिन पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए और यदि संभव हो तो रविवार छोड़कर सभी दिन पीपल में जल अवश्य चढ़ाना चाहिए।

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