मिथुन संक्रांति 2025: सूर्य बदलेंगे राशि, बनेगा दुर्लभ योग; जानिए कौन-सा दान बना सकता है करोड़पति!
15 जून को मिथुन संक्रांति पर बन रहा है शिववास योग। जानिए महापुण्य काल, सूर्य पूजा का महत्व और किन वस्तुओं का दान करने से शुभ फल प्राप्त होंगे?
मिथुन संक्रांति 2025: सूर्य देव जब मिथुन राशि में गोचर करते हैं, तो इस ज्योतिषीय घटना को मिथुन संक्रांति कहा जाता है। यह सूर्य के वृषभ से मिथुन राशि में गोचर का दिन होता है, जिसे वैदिक ज्योतिष में विशेष महत्व प्राप्त है। इस साल यह संक्रांति 15 जून 2025 को मनाई जाएगी।माना जाता है कि इसके पुण्यकाल में किया दान पुण्य धन-दौलत से तिजोरी भर जाती है। आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
दक्षिण भारत में इसे संक्रमणम् कहा जाता है और धार्मिक दृष्टि से यह दिन स्नान, दान और सूर्य-नारायण की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, भगवान श्रीहरि विष्णु व सूर्य देव की आराधना और दान से ग्रह दोषों का नाश होता है और समृद्धि आती है। इस वर्ष मिथुन संक्रांति के साथ शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान शिव दोपहर 3:51 बजे तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे, इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे।
महापुण्य काल
दृक पंचांग के अनुसार, 15 जून को सुबह 6:53 से 9:12 तक महापुण्य काल रहेगा। यह कुल 2 घंटे 20 मिनट का समय विशेष फलदायी होगा। यदि इस समय में स्नान, दान व जप किए जाएं, तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्या करें इस दिन
इस दिन आप इन वस्तुओं का दान कर सकते हैं
- मसूर की दाल, चावल, चीनी
- साबुत मूंग, हरी सब्जियां, नमक
- गन्ने का रस, दूध, दही, गुड़
- केसर मिला दूध, काले तिल, उड़द
- चमड़े की चप्पल/जूते
- विष्णु चालीसा की पुस्तक
जो लोग महापुण्य काल में यह कार्य न कर सकें, वे पुण्य काल के भीतर भी ये धार्मिक कार्य कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।