Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर कब दिखेगा चांद? जानिए व्रत, पूजा का समय और उसका महत्व

Karwa Chauth 2025 का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, चांद निकलने का समय और करवा चौथ का धार्मिक महत्व।

Updated On 2025-09-29 20:30:00 IST
मान्यताओं के मुताबिक इस दिन व्रत रखने से प्रेम जीवन और दांपत्य जीवन सुखमय होता है।

Karwa Chauth 2025: सुहागिनों के लिए करवा चौथ का पर्व एक विशेष महत्व रखता है। यह दिन पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। साल 2025 में करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। देशभर की लाखों महिलाएं इस दिन पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर सच्ची श्रद्धा से चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करेंगी।

कब है करवा चौथ ?

  • व्रत की तिथि: शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर 2025 की रात 10:54 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025 की शाम 07:38 बजे
  • व्रत का समय: सुबह 06:19 बजे से रात 08:13 बजे तक

करवा चौथ का चांद कब निकलेगा?

चंद्रमा के दर्शन: रात 08:13 बजे

महिलाएं इसी समय चांद देखकर व्रत का पारण करेंगी।

करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त

पूजा का समय: शाम 05:57 बजे से 07:11 बजे तक

इस अवधि में महिलाएं करवा चौथ की विधिपूर्वक पूजा करें और कथा श्रवण करें।

सरगी का महत्व

व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाने से होती है, जो सास द्वारा बहू को दिया जाने वाला विशेष भोजन होता है। इसमें सूखे मेवे, फल, मिठाई और सेहतमंद खाना शामिल होता है। सरगी खाकर महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं।

करवा चौथ व्रत का धार्मिक महत्व

  • इस दिन को करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
  • यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो अपने पति की लंबी उम्र और दाम्पत्य सुख के लिए उपवास रखती हैं।
  • यह व्रत निर्जला होता है, यानी व्रती दिनभर अन्न और जल का सेवन नहीं करतीं।
  • व्रत का समापन रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति के हाथों से जल ग्रहण कर किया जाता है।

पौराणिक मान्यता और कथा

करवा चौथ से जुड़ी एक प्रमुख कथा वीरवती की मानी जाती है, जिसने अपने पहले करवा चौथ पर पति की मृत्यु के बाद दुबारा उपवास कर यमराज से अपने पति का जीवन वापस पाया था। तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

करवा चौथ का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

करवा चौथ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से भी महिलाओं को मजबूती देता है। यह व्रत धैर्य, श्रद्धा और आत्म-नियंत्रण की प्रतीक है। व्रत के दौरान सामूहिक पूजा से महिलाओं को सामाजिक एकता और सहयोग की भावना मिलती है। करवा चौथ न सिर्फ एक व्रत है बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में भरोसे, समर्पण और प्रेम का प्रतीक भी बन गया है। यह पर्व एक-दूसरे की भावनाओं को समझने और रिश्ते को मजबूती देने का अवसर देता है।

करवा चौथ 2025 का पर्व महिलाओं के लिए आस्था, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसी कड़ी है जो जीवनसाथी को भावनात्मक रूप से जोड़ती है। इस साल करवा चौथ पर महिलाएं शुक्रवार को चंद्रमा के दर्शन कर अपने व्रत का समापन करेंगी। पूजा का शुभ समय शाम 5:57 से 7:11 तक रहेगा और चांद 8:13 बजे निकलेगा।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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