Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत का पारण कब और कैसे करें?, यहां जानें सही तरीका

Jitiya Vrat 2025: 15 सितंबर 2025 को जितिया व्रत का पारण सुबह 6:10 से 8:32 बजे के बीच होगा। जानें पारण विधि, पारंपरिक भोजन और व्रत के नियम।

Updated On 2025-09-14 20:42:00 IST
Jitiya 2024 Vrat

Jitiya Vrat 2025: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत (जितिया व्रत) माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखद भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जल रहकर कठोर व्रत का पालन करती हैं और अगले दिन नवमी तिथि पर शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं। यहां जानें पारण से जुड़ी सभी जानकारियां।

जितिया व्रत का पारण कब है?

पारण तिथि: 15 सितंबर 2025, सोमवार

पारण का समय: सुबह 6:10 बजे से 8:32 बजे तक

जितिया व्रत क्यों रखा जाता है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत माताएं अपने पुत्रों की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए करती हैं। इसमें जीमूतवाहन की कथा सुनी जाती है, जो त्याग और बलिदान का प्रतीक माने जाते हैं। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।

जितिया व्रत के पारण में क्या खाया जाता है?

  • नोनी साग
  • तोरई (तुरई)
  • अरबी की सब्जी
  • देसी मटर
  • मडुआ/रागी की रोटी
  • चावल और झींगा मछली (परंपरागत रूप से कुछ क्षेत्रों में)

पारण से पहले सूर्य को अर्घ्य देना जरूरी माना जाता है। इसके बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है।

जितिया व्रत का पारण कैसे करें?

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें और संतान की मंगलकामना करें।
  • जीमूतवाहन देवता का ध्यान करें।
  • पारंपरिक भोजन करें जिसमें नोनी साग, तुरई, अरबी, मडुआ रोटी आदि शामिल हों।
  • व्रत की पूर्ति के बाद गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।

पारण के दिन करधनी पहनाने की परंपरा

व्रत की पूर्णता के बाद एक विशेष परंपरा निभाई जाती है बच्चों को करधनी पहनाना। व्रत के दौरान पूजन में चढ़ाई गई करधनी (कमरबंद) को पारण के दिन बच्चे को पहनाया जाता है, जो एक तरह से सुरक्षा कवच का प्रतीक होता है।

जितिया व्रत के नियम

  • व्रत के दिन पूरी तरह से निर्जल रहना होता है।
  • किसी भी प्रकार की मिठाई, फल, जल आदि का सेवन नहीं किया जाता।
  • संध्या के समय पूजा के बाद ही विश्राम किया जाता है।
  • कथा सुनना और सुनाना व्रत का अभिन्न हिस्सा है।
  • पारण केवल शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है, अन्यथा व्रत का प्रभाव कम हो सकता है।

15 सितंबर 2025 को जितिया व्रत का पारण सुबह 6:10 से 8:32 के बीच किया जाएगा। यह व्रत मातृत्व की शक्ति और प्रेम का प्रतीक है। व्रत के नियमों का पालन करते हुए अगर विधिपूर्वक पारण किया जाए तो संतान के जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है। माताएं इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करके अपने बच्चों के लिए ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही समाज में मातृत्व की संस्कृति को और मजबूती मिलती है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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