Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर सरगी का शुभ समय, क्या खाएं और क्या न करें?, जानें

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज 2025 का व्रत 26 अगस्त यानी आज मंगलवार को मनाया जाएगा। जानें सरगी का शुभ मुहूर्त, सरगी में क्या खाएं, किन बातों का रखें ध्यान।

Updated On 2025-08-26 04:50:00 IST

हरतालिका तीज 2025

Hartalika Teej 2025: हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज का पर्व, महिलाओं के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था से जुड़ा होता है। विशेषकर विवाहित स्त्रियों के लिए यह दिन अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से जुड़ा होता है।

इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त, मंगलवार को मनाई जा रही है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और व्रत की शुरुआत सरगी ग्रहण करने से होती है। आइए जानते हैं सरगी का शुभ मुहूर्त, सरगी में क्या खाना चाहिए और इस व्रत के क्या लाभ हैं।

सरगी का शुभ समय

ज्योतिष अनुसार, सरगी ग्रहण करने का सबसे उचित समय ब्रह्म मुहूर्त में होता है।

ब्रह्म मुहूर्त का समय- 26 अगस्त 2025 सुबह 4:27 AM से 5:15 AM तक

सरगी में क्या खाएं और क्या नहीं?

सरगी में खाया जाने वाला भोजन बहुत सात्विक और हल्का होना चाहिए। इसे भोजन की तरह नहीं, बल्कि प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

सरगी में खा सकते हैं

सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, किशमिश)

ताजे फल (सेब, केला, पपीता)

खीर या साबूदाने की खीर

नारियल और मिश्री

नारियल पानी या फलों का रस (बिना नमक)

मिठाई जैसे पेड़ा, लड्डू

इन चीजों से करें परहेज

नमक या नमकीन खाद्य पदार्थ

तीखा, मसालेदार या तला-भुना खाना

चाय या कॉफी (नशायुक्त मानी जाती हैं)

हरतालिका तीज व्रत के लाभ

यह व्रत सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानसिक और पारिवारिक संतुलन का प्रतीक भी है। मान्यता है कि पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत अति प्रभावी होता है। वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती हैं। संतान प्राप्ति की इच्छुक महिलाओं को शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत मानसिक शांति और संयम को बढ़ाता है। कुंवारी कन्याएं उत्तम वर की कामना से भी यह व्रत रख सकती हैं।

धार्मिक मान्यता क्या कहती है?

पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। उनके इस तप की स्मृति में ही हरतालिका तीज का व्रत मनाया जाता है। यह दिन पार्वती शिव विवाह की प्रतीकता लिए हुए है, इसलिए यह व्रत विवाह जीवन की मजबूती और प्रेम को दर्शाता है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

अनिल कुमार

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