Anant Chaturdashi 2025: अनंत चतुर्दशी पर क्यों करते हैं बप्पा का विसर्जन?, जानें महत्व और पौराणिक कथा

6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन होगा। जानिए इसकी तिथि, धार्मिक महत्व, पौराणिक कथा और पर्यावरणीय पहल के बारे में।

Updated On 2025-09-04 20:40:00 IST

Anant Chaturdashi 2025: गणेश उत्सव का उल्लास अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर गणपति बाप्पा को श्रद्धा और विधिपूर्वक विदाई दी जाएगी। इस वर्ष गणेश विसर्जन शनिवार, 6 सितंबर को होगा, जब भक्तजन “गणपति बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के जयकारों के साथ अपने आराध्य को विदा करेंगे। आइए जानते हैं कि बप्पा का विसर्जन क्यों किया जाता है? उनसे जुड़ी पौराणिक कथा।

क्यों होता है गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन?

गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को घर या पंडाल में आमंत्रित कर स्थापित किया जाता है। अगले 10 दिनों तक उनकी विधिवत पूजा होती है। दसवें दिन, यानी अनंत चतुर्दशी पर उनका विसर्जन किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक प्रक्रिया है। गणेशजी का जल में विलीन होना यह दर्शाता है कि जीवन भी पंचतत्वों से बना है और अंत में उसी में समाहित हो जाता है। यह हमें त्याग, परिवर्तन और आत्मा की अमरता का संदेश देता है।

गणपति विसर्जन का धार्मिक महत्व

गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि एक ध्यान और धन्यवाद की प्रक्रिया है। जब हम भगवान को आवाहन कर घर बुलाते हैं, तो उत्सव के बाद उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करना भी उतना ही आवश्यक होता है। विसर्जन के साथ भक्तों के मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास जुड़ा होता है। यह दर्शाता है कि हर आरंभ का एक समापन होता है। विसर्जन का कार्य कर्मों की समाप्ति और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।

गणपति विसर्जन की पौराणिक कथा

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास जब महाभारत की रचना करवा रहे थे, तो उन्होंने गणेशजी को लेखक के रूप में चुना। गणेशजी ने बिना रुके 10 दिन तक लेखन कार्य किया। कथा पूरी होते ही उनका शरीर गर्म हो गया। वेदव्यासजी ने उन्हें पास के जलाशय में स्नान करवाया, जिससे उन्हें शीतलता और शांति मिली। तभी से यह परंपरा चली कि बप्पा को 10 दिन बाद जल में विसर्जित कर विदा किया जाए।

विसर्जन सिर्फ विदाई नहीं

गणेश विसर्जन के दौरान भक्तों की आंखों में आंसू होते हैं, लेकिन उनके स्वर में आशा और श्रद्धा होती है। वे बप्पा से प्रार्थना करते हैं कि अगले वर्ष फिर से आकर कृपा बरसाएं। "विसर्जन नश्वरता की याद दिलाता है और यह सिखाता है कि जो भी हमारे जीवन में आता है, उसका समापन निश्चित है। लेकिन भक्ति का संबंध चिरस्थायी होता है।"

गणपति विसर्जन की मुख्य जानकारी

विसर्जन तिथि

शनिवार, 6 सितंबर 2025

पर्व

अनंत चतुर्दशी

अनुष्ठान

गणेश पूजन, आरती, भोग, विसर्जन

विसर्जन का समय

सूर्योदय से सूर्यास्त तक

मुख्य स्थल

नदी, तालाब, समुद्र या कृत्रिम जलाशय

गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह आस्था, विश्वास, पर्यावरण और आध्यात्मिकता का संगम है। बप्पा हर वर्ष हमारे घर आते हैं, सुख, शांति, समृद्धि लाते हैं और जाते समय भी हमें यह सीख देकर जाते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं, पर ईश्वर में श्रद्धा सदा बनी रहती है।

गणपति बाप्पा मोरया! अगले बरस तू जल्दी आ!


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