Durga Visarjan 2025: मां दुर्गा को विदा करने का शुभ मुहूर्त, जानें विसर्जन विधि और मंत्र
Durga Visarjan 2025: 2 अक्टूबर 2025 को दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 से 8:37 बजे तक है। जानें विसर्जन विधि, मंत्र, सिंदूर खेला की परंपरा और नवरात्रि पारण का महत्व।
Durga Visarjan 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करने के बाद दशहरे के दिन देवी की प्रतिमा का विसर्जन कर उन्हें विदाई दी जाती है। यह दिन श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का प्रतीक होता है, जब भक्तजन 'पुनरागमनाय च' की कामना के साथ मां को अगले वर्ष फिर से आने का आमंत्रण देते हैं। 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को इस वर्ष दुर्गा विसर्जन का शुभ दिन है। इस दिन व्रतधारी अपने नवरात्रि व्रत का पारण भी करते हैं। यहां जानें विसर्जन विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में।
दुर्गा विसर्जन तिथि व मुहूर्त
- विसर्जन तिथि: 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार
- शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे से 08:37 बजे तक
- दशमी तिथि प्रारंभ: 1 अक्टूबर 2025 को रात 07:01 बजे
- दशमी तिथि समाप्त: 2 अक्टूबर 2025 को शाम 07:10 बजे
- श्रवण नक्षत्र: प्रारंभ 2 अक्टूबर, सुबह 09:13 बजे से
- श्रवण नक्षत्र समाप्त: 3 अक्टूबर, सुबह 09:34 बजे तक
दुर्गा विसर्जन की विधि
- दीपक और धूप जलाएं और मां की शांत मुद्रा में ध्यान करें।
- मां को सिंदूर, पुष्प, अक्षत, लाल चुनरी और नारियल अर्पित करें।
- हलवा, पूड़ी, खीर और फल आदि का भोग लगाएं।
- श्रद्धा से आरती करें और भक्ति भाव से प्रार्थना करें।
- मां से क्षमा याचना करें, यदि पूजा में कोई त्रुटि रह गई हो।
- कलश उठाकर विदाई का संकल्प लें- "हे मां, अगले वर्ष पुनः पधारना।"
- मां की प्रतिमा को शुद्ध जल में विसर्जित करें।
- यदि नदी-सरोवर उपलब्ध न हो, तो गंगाजल से स्नान कराकर घर पर ही प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता है।
विसर्जन से पहले की परंपराएं
- सामूहिक आरती का आयोजनढोल-नगाड़ों और जयकारों के साथ प्रतिमा विसर्जन स्थल तक ले जाना
- डोलियों या रथों से यात्रा
- भक्तों द्वारा पुष्पवर्षा और नृत्य
- सभी भक्त “मां अगले साल फिर आइए” का जयकारा लगाते हैं
दुर्गा विसर्जन मंत्र
प्रार्थना मंत्र
"नमस्तेऽस्तु महादेवि महा मायि सुरेश्वरि।
ख्यातं यत् त्वं प्रसन्ना च प्रसन्नं सर्वतो भव॥"
अर्थ: हे देवी! आपको नमस्कार है, आप सभी देवताओं की शक्ति हैं, सृष्टि की अधिष्ठात्री हैं, कृपापूर्वक प्रसन्न हों।
विसर्जन मंत्र
"गच्छ गच्छ परं स्थानं, स्वस्थानं गच्छ देवि च।
पुनरागमनायाथ सर्वमंगलमस्तु ते॥"
अर्थ: हे माता! आप अपने दिव्य स्थान को जाएं और अगले वर्ष पुनः पधारें, हमारा कल्याण करें।
नवरात्रि व्रत पारण और विजयदशमी का समापन
दुर्गा विसर्जन के साथ ही नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है। व्रतधारी माता को भोग अर्पित करके और ब्राह्मण भोजन या कन्या पूजन के बाद व्रत तोड़ते हैं। इस दिन विजयदशमी भी मनाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस शुभ दिन पर भक्तजन नई शुरुआत, शस्त्र पूजन, और शुभ कार्यों का आयोजन करते हैं।
दुर्गा विसर्जन के समय ये जरूर बोलें "जय माता दी। अगली बार फिर जल्दी आना माता!"
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।