Bhai Dooj 2025: दीवाली के तीसरे दिन भाई दूज क्यों मनाया जाता है, क्या है इसका महत्व; जानिए

भाई दूज 2025 का महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि जानिए। यमराज और यमुनाजी की कथा के साथ समझें भाई-बहन के प्रेम का यह खास पर्व।

Updated On 2025-11-20 20:31:00 IST

Bhai Dooj 2025

Bhai Dooj 2025: दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज, जिसे देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है कहीं भैया दूज, तो कहीं भाऊ बीज। 2025 में यह पर्व 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जा रहा है। यह दिन सिर्फ तिलक, मिठाई और उपहारों तक सीमित नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहराई, परंपरा और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। आइए जानते हैं यह पर्व क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे क्या कहानी है।

पौराणिक कथा

भाई दूज से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुनाजी (या यमी) के आग्रह पर उनके घर पहुंचे। यमी ने उन्हें प्रेमपूर्वक तिलक किया, आरती उतारी और स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने बहन से वर मांगने को कहा।

यमी ने प्रार्थना की कि "जिस प्रकार आज आपने मेरे घर आकर मुझे सम्मान दिया, वैसे ही हर बहन के घर उसका भाई आए और वह उसे तिलक कर सके। साथ ही भाई को लंबी उम्र और सुख-समृद्धि मिले।" यमराज ने इसे स्वीकार किया और तब से यह दिन "यम द्वितीया" या भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा। तब से यह त्योहार दीवाली के तीसरे दिन मनाया जाने लगा, जो आज भी मनाया जाता है।

धार्मिक महत्व

भाई दूज का धार्मिक अर्थ सिर्फ एक रस्म तक सीमित नहीं है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते में आस्था, विश्वास और संरक्षण की भावना को मजबूत करता है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक कर उनकी दीर्घायु और जीवन में शुभता की कामना करती हैं, जबकि भाई उनकी रक्षा और सम्मान का वचन देते हैं।

कैसे मनाते हैं भाई दूज?

  • यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।
  • बहनें भाइयों को आमंत्रित करती हैं या स्वयं उनके घर जाती हैं।
  • भाई का तिलक कर, आरती उतारी जाती है और मिठाइयों से उसका स्वागत किया जाता है।
  • भाई बहनों को उपहार देकर उनका स्नेह स्वीकार करते हैं।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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