Ashadha Month 2025: 12 जून से शुरू होगा आषाढ़ माह, जानिए क्या करें और किन बातों से रहें सावधान

Ashadha Month 2025: हिंदू धर्म में हर माह का विशेष महत्व होता है। यहां जानें आषाढ़ महीने की शुरुआत होने पर क्या करें और क्या न करें?

Updated On 2025-06-15 19:29:00 IST

Ashadha Month 2025: हिंदू धर्म में हर माह का विशेष महत्व होता है, लेकिन आषाढ़ मास धार्मिक दृष्टि के साथ ही मौसम परिवर्तन के कारण भी विशेष महत्व रखता है। यह समय न सिर्फ अध्यात्म की गहराई में उतरने का अवसर है, बल्कि आत्मनियंत्रण और साधना का काल भी माना जाता है। यहां जानें आषाढ़ महीने की शुरुआत होने पर क्या करें और क्या न करें?

12 जून से लगेगा आषाढ़
आषाढ़ महीने की शुरुआत 12 जून 2025 से हो रही है, जो 10 जुलाई 2025 तक चलेगा। इस दौरान वर्षा ऋतु का भी आरंभ हो जाता है और गर्मी कम होने लगती है। वातावरण में ठंडक और नमी का अनुभव होता है, जो जीवनशैली में भी कई बदलावों को भी दर्शाता है।

धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है आषाढ़ महीना?
आषाढ़ माह का सबसे बड़ा पर्व देवशयनी एकादशी होता है, जो इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता है। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास कहते हैं। इस अवधि में धार्मिक गतिविधियां जैसे जप, तप, व्रत और साधना को अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।

इन कार्यों को करना शुभ माना जाता है

  • विष्णु भक्ति में मन लगाएं: श्रीहरि विष्णु की पूजा, विष्णु सहस्रनाम और गीता पाठ करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
  • दान-पुण्य करें: शीतल जल, छाता, जूते, अन्न और वस्त्र का दान इस समय अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
  • सात्विक भोजन को अपनाएं: पचने में हल्का और शुद्ध भोजन लें, जिससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहें।
  • तुलसी का महत्व बढ़ेगा: तुलसी का नियमित पूजन करें, उसे जल अर्पित करें और उसकी देखभाल करें।
  • ध्यान और साधना को दिनचर्या में जोड़ें: सुबह-शाम भजन, ध्यान, या सत्संग में भाग लेना लाभकारी रहेगा।

इनसे करें परहेज

  • शादी या गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य टालें: चातुर्मास में शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
  • मांसाहार और नशीले पदार्थों से दूरी बनाए रखें: यह समय आत्मशुद्धि और संयम का है।
  • बासी या भारी भोजन से बचें: यह पाचनतंत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे रोग उत्न्न हो सकते हैं।
  • पूजा से पहले अशुद्धता न रखें: स्नान और वस्त्रों की शुद्धता का विशेष ध्यान दें, ताकि पूजा में मानसिक एकाग्रता बनी रहे।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। HariBhoomi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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