Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में खरीदारी शुभ या अशुभ? जानिए शास्त्र और ज्योतिष का सच

पितृ पक्ष 2025 में क्या खरीदारी करना वाकई अशुभ होता है? जानिए शास्त्र, ज्योतिष और दो ग्रहणों के दुर्लभ संयोग के बीच क्या है सही और क्या है भ्रांति।

Updated On 2025-10-16 19:14:00 IST

पितृ पक्ष में खरीदारी करें या नहीं, क्या है ज्योतिष का सच?

Pitru Paksha 2025 Religious Affiliation: पितृ पक्ष 2025 में प्रॉपर्टी खरीदी अथवा निवेश करना चाहिए या नहीं। इसे लेकर अक्सर लोग पशोपेश में रहते हैं, लेकिन 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलने वाला पितृ पक्ष इस बार विशेष महत्व का है। धार्मिक मान्यताओं और आधुनिक ज्योतिषियों के मतों के आधार पर जानिए कि क्या इस दौरान नई चीजें खरीदना वाकई अशुभ होता है या सिर्फ एक सामाजिक भ्रांति।

क्या है पितृ पक्ष का महत्व?

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) 15 दिवसीय वह अवधि है जब हम अपने पूर्वजों को तर्पण, पिंडदान और श्रद्धा के जरिए स्मरण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने वंशजों का हालचाल जानती हैं।

क्या खरीदारी करना पितरों को नाराज करता है?

आम धारणा है कि पितृ पक्ष में कुछ भी नया नहीं खरीदना चाहिए, अन्यथा पितर नाराज़ हो सकते हैं। माना जाता है कि इस दौरान खरीदी गई वस्तुएं प्रेत अंश वाली होती हैं और उनका उपयोग करना अनुचित होता है, लेकिन धर्मशास्त्रों में ऐसा कोई स्पष्ट निषेध नहीं मिलता है। यह मान्यता जनश्रुतियों पर आधारित है। न कि शास्त्र प्रमाण पर।

ज्योतिषाचार्य क्या कहते हैं?

पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास (श्री मातंगी वैदिक ज्योतिष केंद्र) के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों की कृपा होती है, इसलिए इन दिनों संपत्ति, वाहन, सोना-चांदी, होटल, व्यवसाय आदि की खरीददारी करना न सिर्फ उचित बल्कि शुभ फलदायी भी हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि खरीदारी शुभ मुहूर्त में की जाए, तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगता।

दो ग्रहणों के बीच पितृ पक्ष, दुर्लभ संयोग

पितृ पक्ष में इस बार विशेष योग बन रहे हैं, क्योंकि यह पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण से शुरू हुआ और अमावस्या पर सूर्यग्रहण के साथ समाप्त होगा। ज्योतिषाचार्य मोहन लाल द्विवेदी के अनुसार, यह संयोग 102 वर्षों में पहली बार बना है, जिससे इस बार की खरीदी को स्थायी और शुभ फलदायी माना गया है।

कब होती है खरीदी अशुभ?

कोई व्यक्ति यदि पितृ पक्ष में सिर्फ दिखावे के लिए चीजें खरीदता है और अपने पूर्वजों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करता है। तर्पण, पिंडदान या श्रद्धा से मुंह मोड़ता है तो यह मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अनुचित माना जाता है। लेकिन, श्रद्धा पूर्वक स्मरण करते हुए कुछ भी नया लेना पितरों को प्रसन्न करता है।

Tags:    

Similar News