IndiGo Crisis: उड़ानें रद्द होने से बढ़ीं टिकटों की कीमतें, इंटरनेशनल रूट्स पर 2 से 3 गुना हुआ हवाई किराया
IndiGo के परिचालन संबंधी संकट ने अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर हवाई किराए को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा दिया है। दिल्ली–दुबई, दिल्ली–माले और अन्य मार्गों पर टिकटों के दाम कैसे दोगुने-तीन गुना हुए, जानें इसके पीछे की असली वजहें और यात्रियों पर इसका असर।
(एपी सिंह ) नई दिल्ली। IndiGo संकट की वजह से देश का एविएशन सेक्टर इस समय बड़ी उथल-पुथल से गुजर रहा है। नए नियमों की वजह से घरेलू उड़ाने रद्द होने का असर अब अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर भी दिखने लगा है। इसकी वजह से विदेश जाने वाले यात्रियों को टिकटों के लिए जेब ढीली करनी पड़ रही है। कई रूट्स पर किराए 2 से 3 गुना तक बढ़ गए हैं। IndiGo देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है और घरेलू कनेक्टिविटी का बड़ा हिस्सा इसी पर निर्भर करता है। जो लोग दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु से विदेश जाते हैं, वे पहले इनमें से किसी शहर तक पहुंचने के लिए IndiGo की घरेलू उड़ान लेते हैं। जैसे ही घरेलू स्तर पर उड़ानें रद्द हुईं, कनेक्टिंग अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की भी मुश्किलें बढ़ गईं सीटें कम होने लगीं, रीबुकिंग बढ़ी और टिकटों की कीमतें तेजी से ऊपर चली गईं।
यही वजह है कि दिल्ली–दुबई का टिकट, जो पहले ₹18,000–22,000 में आसानी से मिल जाता था, अब ₹55,000 तक पहुंच गया है। इसी तरह दिल्ली–माले राउंड ट्रिप जो ₹40,000–45,000 में मिलती थी, वह अब लगभग ₹1 लाख में बिक रही है। मांग अधिक है लेकिन सीटें बेहद कम, इसलिए कीमतें अपने आप बढ़ रही हैं। सरकार ने हाल ही में घरेलू रूट्स पर एयरफेयर कैप लगाया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। इतना ही नहीं, घरेलू रूट्स पर भी बचे हुए अंतिम स्लॉट वाले टिकट कैप के बावजूद महंगे हो जाते हैं। इसका उदाहरण दिल्ली–तिरुवनंतपुरम का ₹64,783 वाला इकोनॉमी टिकट है, जिसने यात्रियों को चौंका दिया है।
दूसरा बड़ा कारण मौसमी डिमांड है। दिसंबर का महीना छुट्टियों, क्रिसमस और न्यू ईयर ट्रैवल का पीक सीजन होता है। जब यात्रा की मांग अपने सर्वोच्च स्तर पर हो और उसी समय एक बड़ी एयरलाइन अपनी 10% विंटर क्षमता कम कर दे, तो पूरे सेक्टर में टिकटों की कीमतें बढ़ना स्वाभाविक है। IndiGo की रद्द सैकड़ों फ्लाइट्स रद्द होने और सीमित क्षमता ने पूरे अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल सिस्टम को प्रभावित कर दिया है। एयरपोर्ट पर लंबा इंतजार, मिस्ड कनेक्शन्स, आखिरी समय पर रीबुकिंग और सीमित विकल्प-ये समस्याएं यात्रियों को लगातार परेशान कर रही हैं। मतलब यह कि IndiGo संकट सिर्फ एक विमानन कंपनी की दिक्कत नहीं रह गया है। बल्कि देश के एविएशन इकोसिस्टम पर इसका बड़ा असर दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह समय कठिन है, क्योंकि उनके पास विकल्प सीमित हैं और किराए लगातार बढ़ रहे हैं।