Sin Goods: क्या होते हैं सिन गुड्स और क्यों इन पर सबसे ज्यादा GST?

Sin Goods:सरकार ने सिन गुड्स और लग्ज़री आइटम्स पर 40% जीएसटी स्लैब लागू किया है। तंबाकू, गुटखा, शराब, लग्ज़री कार और जुआ प्लेटफॉर्म इस दायरे में आएंगे। रोज़मर्रा के सामानों और दवाइयों पर टैक्स घटाकर 5% और 18% कर दिया गया है।

Updated On 2025-09-04 13:45:00 IST

सिन गुड्स क्या होते हैं और उस पर क्यों सबसे ज्यादा जीएसटी?

Sin Goods: सरकार ने जीएसटी व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। अब चार के बजाए जीएसटी में दो टैक्स स्लैब होंगे। वहीं, सिन गुड्स और कुछ लग्जरी आयटम्स पर 40 फीसदी टैक्स लगाया गया है। ये अबतक की सबसे ऊंचा जीएसटी रेट है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को यह ऐलान करते हुए बताया कि ज्यादातर सामानों पर टैक्स घटाकर 5% और 18% कर दिया गया है लेकिन हानिकारक और ऐशो-आराम से जुड़े उत्पादों पर कर का बोझ और बढ़ा है।

क्या हैं सिन गुड्स?

सिन गुड्स वे प्रोडक्ट्स हैं जिन्हें समाज या सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता। इनमें तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट, शराब और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स शामिल हैं। दुनियाभर की सरकारें इन पर ऊंचा टैक्स लगाकर दो मकसद साधती हैं। लोगों को इनके इस्तेमाल के हतोत्साहित करना और टैक्स कलेक्शन बढ़ाना, जिसे बाद में सार्वजनिक कल्याण पर खर्च किया जा सके।

क्यों लगाया गया 40% टैक्स?

अब तक इन सामानों पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ कंपनसेशन सेस लगाया जाता था, जिससे कुल टैक्स का बोझ लगभग 40% तक पहुंचता था। चूंकि सेस को फेज वाइज तरीके से हटाया जा रहा। सरकार ने टैक्स को सीधे 40% जीएसटी स्लैब में मिला दिया है। इसे स्पेशल रेट कहा जा रहा है, क्योंकि यह केवल गिने-चुने उत्पादों पर ही लागू होगा।

किन उत्पादों पर लगेगा सबसे ज्यादा जीएसटी?

40% जीएसटी स्लैब के दायरे में ये सामान आएंगे

  • पान मसाला
  • सिगरेट, सिगार, चुरूट, गुटखा
  • बिना बनी तंबाकू और तंबाकू के विकल्प
  • एरेटेड व कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
  • कैफिन युक्त पेय
  • 1200 सीसी (पेट्रोल) या 1,500 सीसी (डीज़ल) से बड़े कारें
  • 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिलें
  • यॉट्स, रेसिंग कार्स, निजी विमान
  • ऑनलाइन जुआ और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स

कहां टैक्स में राहत मिली है?

जहां सिन गुड्स पर कर बोझ बढ़ा है, वहीं आम लोगों को राहत भी दी गई। टूथपेस्ट, साबुन, शैंपू, छोटे कार, टीवी, एसी जैसे सामान अब 5% और 18% स्लैब में आ गए। कई दवाइयाँ, रोज़मर्रा का राशन और मेडिकल ऑक्सीजन या तो पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिए गए हैं या 5% स्लैब में डाल दिए गए हैं।

क्या होगा असर?

संशोधित टैक्स ढांचे का सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। जहां रोजमर्रा के सामान सस्ते होंगे, वहीं तंबाकू, शराब और लग्ज़री गाड़ियों के दाम और बढ़ जाएंगे। सरकार का तर्क है कि ऐसे सामानों पर ज्यादा टैक्स लगाकर उपभोग कम किया जा सकेगा और समाज पर उनके नकारात्मक असर को रोका जा सकेगा।

(प्रियंका कुमारी)

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