Indian Rupee vs Dollar: ट्रंप के टैरिफ का असर, भारतीय रुपया में बड़ी गिरावट, 88.46 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आया

Indian Rupee vs Dollar: भारतीय रुपया गुरुवार (11 सितंबर) को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.46 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया जो पिछले सप्ताह के 88.36 के सर्वकालिक निम्न स्तर से भी नीचे है।

Updated On 2025-09-11 17:38:00 IST

भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ऑल टाइम लो पर आया।

Indian Rupee vs Dollar: भारतीय रुपया गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.44 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि आयातकों और बैंकों की खरीदारी के चलते एशियाई करेंसी में आई कमजोरी का असर रुपये पर पड़ा।

दिन के कारोबार में रुपया 34 पैसे गिरकर 88.44 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इंट्रा डे में रुपया 36 पैसे गिरकर 88.46 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। बुधवार को यह 88.10 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

भारत पर अमेरिकी टैरिफ और उसके प्रभाव से पैदा हुई अनिश्चितता के कारण बैंकों और आयातकों ने डॉलर खरीदे हैं। एक वरिष्ठ वित्त मंत्रालय अधिकारी ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा ऋण निकासी पर भी दबाव पड़ा।

सितंबर में अब तक, एफपीआई ने घरेलू बाजार से शुद्ध आधार पर 346 मिलियन डॉलर निकाले हैं। केंद्रीय बैंक की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ। वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बाजार सहभागियों को उम्मीद थी कि भारतीय रिजर्व बैंक 88.50 प्रति डॉलर पर हस्तक्षेप करेगा।

व्यापारियों को उम्मीद है कि आरबीआई अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से निर्यातकों की मदद के लिए निकट भविष्य में रुपये को कमजोर बनाए रखेगा।

मेकलाई फाइनेंशियल सर्विसेज के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितेश भंसाली ने कहा, 'बाजार के जानकार सूत्रों के अनुसार, एफपीआई बॉन्ड बेच रहे और आज के कारोबार में एशियाई करेंसी भी कमज़ोर रहीं। रुपये को अभी ज़्यादा सहारा नहीं मिल रहा, इसलिए टैरिफ़ के बढ़ते दबाव के कारण आरबीआई का इस समय हस्तक्षेप करना ज़्यादा समझदारी नहीं है।'

व्यापारियों को उम्मीद है कि निकट भविष्य में रुपया 89.25-89.50 के स्तर को छू सकता है क्योंकि मंदी का रुझान बना हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब तक टैरिफ़ के मोर्चे पर कोई साफगोई या सकारात्मक खबर नहीं मिलती, तब तक रुपये के प्रति धारणा निगेटिव बनी रहेगी और कुछ और समय तक गिरावट जारी रहेगी।

व्यापारी गुरुवार को आने वाले अगस्त के अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों से पहले भी सतर्क थे ताकि अगले हफ़्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत घोषणाओं से पहले टैरिफ़ के प्रभाव को समझा जा सके।

(प्रियंका कुमारी)

Tags:    

Similar News