Fed Rate Cut 2025: फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार की नीतिगत ब्याज दर में 0.25% की कटौती
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार 0.25% की दर कटौती कर नीतिगत दर को 3.5%–3.75% पर ला दिया। महंगाई बढ़ने, रोजगार बाजार के कमजोर होने और सरकारी शटडाउन के बीच लिया गया यह फैसला कई राजनीतिक और आर्थिक सवाल खड़े करता है। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।
जेरोम पॉवेल, चेयरमैन-फेडरल रिजर्व
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25% की कटौती की है। इसके साथ ही नीतिगत ब्याज दर 3.5%–3.75% के दायरे में आ गई है। यह कटौती ऐसे समय में की गई है जब महंगाई बढ़ रही है। इसके बावजूद फेड ने दर कटौती का निर्णय लिया है, इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था की कमजोरी और जॉब मार्केट की सुस्ती फेड के लिए ज्यादा बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं। हालांकि, रेट कट का निर्णय फेड चेयर जेरोम पॉवेल के लिए बहुत आसान नहीं था। इस मुद्दे पर फेडरल रिजर्व के भीतर गंभीर मतभेद दिखाई दिए, साथ ही राजनीतिक दबाव की छाया भी नजर आई।
ब्याज दरें घटाने को लेकर फेडरल रिजर्व के भीतर तीन तरह की राय सामने आई। दो सदस्य चाहते थे कि दरें न बदली जाएं, क्योंकि महंगाई अभी भी उच्च स्तर पर है। एक सदस्य की राय थी कि कटौती और ज्यादा होनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को बड़ा सपोर्ट मिल सके। इससे साफ है कि फेड के भीतर भविष्य की नीतिगत दिशा को लेकर काफी अनिश्चितता है। दूसरी बड़ी समस्या यह थी कि अमेरिकी सरकारी शटडाउन की वजह से फेड को आवश्यक आर्थिक डेटा समय पर नहीं मिला। रोजगार, महंगाई और उपभोक्ता गतिविधियों के कई महत्वपूर्ण आंकड़े जारी नहीं हो पाए, जिससे निर्णय लेना और कठिन हो गया। फेड ने भी माना है कि उसने अधूरे आंकड़ों के आधार पर यह कदम उठाया है।
सबसे ज्यादा चर्चा राजनीतिक दबाव की रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लंबे समय से फेड पर दरें तेजी से घटाने का दबाव डालते रहे हैं और यहां तक कह चुके हैं कि दरें 2% से नीचे आनी चाहिए। यह माहौल फेड की स्वतंत्रता पर प्रश्न खड़े करता है। कुल मिलाकर, इस फैसले का मतलब यह है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ रही है, रोजगार बाजार खतरे में है, महंगाई नियंत्रित नहीं है और राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में इसका असर न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक बाजारों और मुद्राओं पर भी दिखाई देगा।