Vinayak Chaturthi 2024: आज हैं गणेश जी को समर्पित चैत्र विनायक चतुर्थी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रथम पूज्य शिव पुत्र भगवान गणेश जी को विनायक के नाम से भी जाना जाता है। 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार को 'विनायक चतुर्थी' है। यह दिन गणेश जी को समर्पित है। सभी शुभ और मांगलिक

By :  Desk
Updated On 2024-04-11 23:39:00 IST
12 अप्रैल 2024, शुक्रवार को 'विनायक चतुर्थी' है। यह दिन गणेश जी को समर्पित है।

Vinayak Chaturthi 2024: प्रथम पूज्य शिव पुत्र भगवान गणेश जी को विनायक के नाम से भी जाना जाता है। 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार को 'विनायक चतुर्थी' है। यह दिन गणेश जी को समर्पित है। सभी शुभ और मांगलिक कार्यों में गणेश जी की ही सबसे पहले पूजा करना जरुरी होता है। वहीं, यदि दिन विनायक चतुर्थी का हो तो यह अवसर और भी ख़ास हो जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की सच्चे मन से पूजा करने पर विशेष आशीर्वाद मिलता है। 

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी के पर्व को विशेष महत्त्व दिया गया है। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा से साधकों को जीवन में सुख, शांति और सभी कष्टों से छुटकारा प्राप्त होता है। 

2024 में कब है विनायक चतुर्थी? 

चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 अप्रैल की दोपहर 3 बजकर 3 मिनट पर शुरू हो रही है। 12 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 11 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, विनायक चतुर्थी का यह धार्मिक पर्व इस बार 12 अप्रैल, शुक्रवार के दिन माना जाएगा। 

विनायक चतुर्थी 2024 पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 12 अप्रैल (शुक्रवार) को विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर के 1 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। 

विनायक चतुर्थी चंद्रोदय समय

विनायक चतुर्थी पर चंद्रोदय समय सुबह 8 बजकर 19 मिनट और चंद्रास्त रात 11:00 बजे होगा। विनायक चतुर्थी व्रत में चंद्र दर्शन वर्जित माना जाता है। 

विनायक चतुर्थी पूजा विधि 

-सूर्योदय से पहले उठकर प्रभु गणेश जी का ध्यान करें। 

- घर की साफ सफाई करके स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 

- पूजा स्थल की साफ सफाई अच्छी तरह करें और गंगाजल छिड़के। 

- एक चौकी पर पीला या लाल साफ कपड़ा बिछा गणपति को विराजित करें। 

- गणेश जी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं। 

- इसके बाद गणेश जी के रोली, चावल से तिलक करें, पुष्प अर्पित करें। 

- भोग के रूप में फल- मिठाई अर्पित करें। मोदक और दूर्वा जरूर चढ़ाएं। 

- अंत में गणेश आरती, चालीसा पाठ करें और तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण करें। 

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