Janmashtami Puja Vidhi: जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की कैसे करें पूजा? जानिए विधि, व्रत नियम और थाली सामग्री
Janmashtami 2025 Puja Vidhi: जन्माष्टमी पर कैसे करें पूजा? जानें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन सामग्री, व्रत के नियम और थाली में रखी जाने वाली जरूरी वस्तुएं।
Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि और व्रत सामग्री
Janmashtami 2025 Puja Vidhi: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा-अर्चना कर व्रत रखते हैं और रात 12 बजे माखनचोर नंदलाल का जन्मोत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी व्रत एवं पूजन करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
जन्माष्टमी पूजा सामग्री सूची (Krishna Janm Pooja Samagri List)
- आसन या झूला (लड्डू गोपाल के लिए)
- लाल कपड़ा
- बाल गोपाल की मूर्ति या तस्वीर
- गणपति प्रतिमा
- वस्त्र एवं आभूषण
- मुकुट, बांसुरी
- चंदन, रोली, चावल
- दूध, दही, घी, शहद, मिश्री (पंचामृत हेतु)
- पंचमेवा
- तुलसी दल
- गंगाजल
- धूप, घी की बाटी
- कलावा, जनेऊ
- फूल एवं माला
- फल, खीरा, नारियल
- शंख, मोर पंख
जन्माष्टमी पूजा विधि (Janmashtami Puja Vidhi)
- पूजा स्थल पर लाल या पीले कपड़े से वेदी सजाएं और भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- बाल स्वरूप लड्डू गोपाल को झूले या आसन पर विराजमान करें।
- भगवान श्रीकृष्ण को नए वस्त्र पहनाएँ, मुकुट, आभूषण और बांसुरी से सजाएं।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, मिश्री) से स्नान कराएं और गंगाजल से अभिषेक करें।
- तुलसी, फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें और आरती करें।
- रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएं, झूला झुलाएं और प्रसाद बांटें।
जन्माष्टमी व्रत विधि (Janmashtami Vrat Rules)
जन्माष्टमी व्रत तीन प्रकार से रखा जाता है:
निर्जला व्रत: सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक बिना जल और अन्न ग्रहण किए।
निराहार व्रत: सुबह पूजा के बाद केवल दूध, दही, चाय, जूस आदि का सेवन।
फलाहार व्रत: सुबह पूजा के बाद फल और ड्राई फ्रूट्स का सेवन।
व्रत अपनी क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार रखें। सबसे मुख्य नियम यह है कि व्रत में सात्विकता, भक्ति और नियमों का पालन अवश्य हो।
जन्माष्टमी पर करें विशेष उपाय
लड्डू गोपाल की पूजा के दौरान पान पत्ता व बांसुरी का विशेष उपाय जरूर करें। मान्यता है कि इस उपाय के करने से श्रीकृष्ण की कृपा से हर इच्छा पूरी होती है। आपको एक पान का पत्ता लेना है। उसमें दो-दो लौंग-इलायची और मिश्री रखनी है। साथ ही एक छोटी से बांसुरी रखनी है। पान का पूरा पत्ता लड्डू गोपाल के चरणों में अर्पित कर दें।
अगले दिन सुबह पूजा करने के बाद पान से लौंग-इलायची और मिश्री को निकालकर प्रसाद के रूप में सेवन कर लें। बांसुरी को लड्डू गोपाल को सौंप दें। पान के पत्ते को जल में प्रवाहित कर दें जमीन में दबा दें। इस उपाय का फल कुछ दिनों में दिखाई देगा। घर-परिवार में सुख-शांति का वास होगा। आपस में प्रेम बढ़ेगा हुए आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी। कुल मिलाकर धन-सौभाग्य बरसेगा और मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
श्री कृष्ण आरती लिरिक्स (Shree Krishna Aarti Lyrics in hindi )
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
शुभ-लाभ: जन्माष्टमी का व्रत, पूजन और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व भक्तों के लिए दिव्य अवसर है। इस दिन व्रत करने और भगवान कृष्ण की आराधना से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।