आप में नहीं थम रहा बवाल, केजरीवाल व योगेन्द्र-प्रशांत के खेमे को लेकर चर्चा

आप में नहीं थम रहा बवाल, केजरीवाल व योगेन्द्र-प्रशांत के खेमे को लेकर चर्चा
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अरविन्द केजरीवाल इलाज करवाने बाहर चले गए और दिल्ली में स्टिंग खुलासे का दौर चल पड़ा।
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी में शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। पिछले कई दिनों से पार्टी में अरविन्द केजरीवाल व योगेन्द्र यादव-प्रशांत भूषण दो खेमे को लेकर चर्चा चल रही थी।
ऐसे में स्टिंग के खुलासों ने चर्चा का रुख ही बदल दिया। आप के कुछ नेताओं ने स्टिंग को स्वीकारते हुए चुनाव से पहले की बात कही। वहीं शुक्रवार को आप नेता कुमार विश्वास ने इसे भाजपा का प्रयास बताया। जबकि आप सूत्रों का कहना है कि यह विवाद भी अरविन्द केजरीवाल खेमे द्वारा करवाया गया है। राजेश गर्ग द्वारा पुराना टेप सामने लाना इसी कड़ी का एक हिस्सा था। अरविन्द केजरीवाल अगले पांच साल तक दिल्ली के बाहर किसी और राज्य में चुनाव नहीं लड़ना चाहते। लेकिन दिल्ली में मिले बंपर सर्मथन को भुनाने के लिए कुछ अन्य नेताओं ने पंजाब, बिहार सहित अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। अरविन्द ने 14 फरवरी को शपथ लेने के दौरान भी स्पष्ट कहा था कि पार्टी कही और चुनाव नहीं लड़ेगी। बावजूद इसके कोशिश होती रही। बाद में पार्टी ने योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से बाहर का रास्ता दिखाया लेकिन दाल गलती हुई नजर नहीं आई। मामला जब तूल पकड़ा दिखा तो अरविन्द केजरीवाल इलाज करवाने बाहर चले गए और दिल्ली में स्टिंग खुलासे का दौर चल पड़ा।
आप नेताओं का कहना है कि इन विवादों के बाद पार्टी की छवि कुछ गिरी है, ऐसे में आप के नेता पंजाब, बिहार व अन्य राज्य में चुनाव लड़ने से दूरी बना सकते हैं जिसका सीधा फायदा अरविन्द केजरीवाल को होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के दो फाड़ से बचाने के लिए छवि कुछ गिरती है तो इससे ज्यादा नुकसान नहीं होगा। वहीं शुक्रवार को अरविन्द के बयान से भी स्पष्ट हो गया कि पार्टी दिल्ली को छोड़ कर किसी भी राज्य का चुनाव नहीं लड़ने जा रही। वहीं इन स्टिंग के बारे में योगेन्द्र यादव का कहना है कि इस मामलों से पार्टी के कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा रहा है। मीडिया में आए दिन कीचड़ उछाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना के पीछे कौन है। कहीं इस खेल में नई राजनीति की भ्रूणहत्या करने को तैयार बड़ी ताकतें तो शामिल नहीं हो गयी हैं। हमें अपना सब लगाकर इस आंदोलन को ऐसी साजिशों से बचाना होगा।
पार्टी में जितने भी गहरे मतभेद हों, इस आंदोलन में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस कीचक्रीड़ा का हिस्सा नहीं बन सकता। हम सबको कुछ ऐसा करना है ताकि आन्दोलन की एकता बनी रहे और इसकी आत्मा भी बची रहे। पिछले कुछ दिनों से जो मंथन चल रहा है, उससे बहुत विष निकला है। मुझे भरोसा है अंतत अमृत भी निकलेगा।
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