मुस्लिमों पर दिए बयान से पलटीं नजमा, अब दारुल उलूम देवबंद ने मांगी सरकार से सफाई

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By - haribhoomi |28 May 2014 6:30 PM
नजमा ने कहा कि मुसलमानों का पिछड़ापन बरसों पुराना और इसे दूर करने में वक्त लगेगा।
नई दिल्ली. अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला के विवादास्पद बयान पर हंगामा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मुसलमानों को अल्पसंख्यकों की श्रेणी से बाहर रखने की बात कहने वाली नजमा हालांकि अपने बयान से पलट चुकी हैं लेकिन अब दारुल उलूम देवबंद ने सरकार से इस मामले में सफाई देने को कहा है कि यह बयान सरकार का था या नजमा हेपतुल्ला की व्यक्तिगत राय।
नजमा ने कहा था कि भारत में मुसलमान पिछड़ा जरूर है, पर अल्पसंख्यक नहीं है। लेकिन बुधवार को उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब यह था कि मुसलमान 'अल्पसंख्यकों में बहुसंख्यक' है। मंगलवार को मुस्लिम कल्याण की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर नजमा ने कहा था, 'केवल मुसलमान ही क्यों। यह केवल मुस्लिम मामलों का मंत्रालय नहीं है। उन्होंने कहा, मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं। वास्तव में पारसी अल्पसंख्यक हैं और उनकी आबादी घट रही है। उन्हें मदद की जरूरत है ताकि वे लुप्त न हो जाएं।'
इसके बाद बुधवार को सफाई देते हुए उन्होंने कहा, 'अल्पसंख्यकों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं। पारसी समाज बहुत कम है। छह अल्पसंख्यक समुदायों में मुसलमान सबसे ज्यादा हैं।' उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए। उन्हें खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। वह सबसे छोटा अल्पसंख्यक समूह नहीं हैं। मुस्लिम आरक्षण पर उन्होंने कहा, 'संविधान में मजहब की बुनियाद पर आरक्षण नहीं है। वैसे भी रिजर्वेशन से चंद लोगों को फायदा पहुंचता है। सवाल ये है कि आप चंद लोगों का फायदा चाहते हैं या सबका। हम समावेशी विकास चाहते हैं। आरक्षण स्थायी समाधान नहीं है।'
नीचे की स्लाइड्स में जानिए, मुस्लिम अल्पसंख्यकाें पर क्या राय रखती हैं नजमा-
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