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Central Government Asserts CBI Autonomy: सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट में संदेशखाली मामले की रिपोर्ट दाखिल की है। सीबीआई ने चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के सामने स्टेट्स रिपोर्ट पेश करते हुए शिकायत की है कि राज्य भूमि रिकॉर्ड से जुड़े मामले में सहयोग नहीं कर रहा है।

Central Government Asserts CBI Autonomy: केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई से जुड़ी दो खबर है। पहला मामला बंगाल सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक अर्जी से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया कि राज्य की परमीशन के बगैर सीबीआई जांच अपने हाथ में ले रही है। ऐसा करना गलत और संघीय ढांचे के खिलाफ है। इस पर केंद्र सरकार ने गुरुवार, 1 मई को सुनवाई के दौरान कहा कि सीबीआई हमारे कंट्रोल में नहीं है। 

दूसरा मामला संदेशखाली प्रकरण से जुड़ा है। सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट में संदेशखाली मामले की रिपोर्ट दाखिल की है। सीबीआई ने चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के सामने स्टेट्स रिपोर्ट पेश करते हुए शिकायत की है कि राज्य भूमि रिकॉर्ड से जुड़े मामले में सहयोग नहीं कर रहा है।

पहले बात सुप्रीम कोर्ट की, जानिए क्या-क्या हुआ?
गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ से कहा कि भारत सरकार ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है, सीबीआई ने दर्ज किया है। एजेंसी केंद्र के नियंत्रण में नहीं है। 

दरअसल, पश्चिम बंगाल ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के खिलाफ एक मूल मुकदमा दायर किया है। तृणमूल सरकार ने अपने मुकदमे में कहा कि राज्य द्वारा पश्चिम बंगाल में मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को सहमति न देने के बावजूद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करना और जांच जारी रखी है।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 131 केंद्र और एक या अधिक राज्य सरकारों के बीच विवाद में शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। इसके दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

बता दें कि 16 नवंबर, 2018 को पश्चिम बंगाल ने प्रदेश में जांच करने या छापेमारी करने के लिए सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इसके बाद सीबीआई के केस दर्ज करने को लेकर बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 

11 साल पहले सीबीआई को मिला था बंद पिंजरे का तोता का तमगा
भाजपा की सरकार हो या पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार, दोनों के कार्यकाल में सीबीआई की निष्पक्षता पर सवाल उठे। बीते दिनों हुई कार्रवाई को लेकर विपक्ष ने बार-बार भाजपा पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। इन आरोपों का भाजपा ने खंडन किया है। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को पिंजरे में बंद तोता तक कह दिया था। उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सत्ता में था।

अब बात संदेशखाली प्रकरण की...
सीबीआई ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की डबल बेंच को बताया कि संदेशखाली में जमीन पर कब्जा करने से जुड़ी 900 शिकायतें हैं। यदि राज्य सरकार सहयोग नहीं करती है तो जांच में देरी होगी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य को जांच में आवश्यक सहयोग देना चाहिए। मामले को लेकर सीबीआई ने राज्य से कुछ दस्तावेज मांगे हैं। जिसे एक हफ्ते के भीतर सीबीआई को सौंप दिए जाएं। 

10 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी थी। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए  बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। 

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