93 मुंबई बम ब्लास्टः याकूब मेमन की पुनर्विचार याचिका खारिज, फांसी बरकरार

93 मुंबई बम ब्लास्टः याकूब मेमन की पुनर्विचार याचिका खारिज, फांसी बरकरार
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कोर्ट ने याकूब की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में मुख्य साजिशकर्ता और मौत की सजा झेल रहे याकूब अब्दुल रजाक मेमन की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए याकूब बड़ा झटका दिया है। इस मामले में कोर्ट ने याकूब की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है।
गौरतलब है कि टाडा अदालत ने 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे पीठ ने यह कहते हुए उम्रकैद में बदल दिया था कि इन लोगों की भूमिका मेमन की भूमिका से अलग थी। इन 10 लोगों ने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आरडीएक्स
विस्फोटक से लदे वाहन खड़े किए थे। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट मेमन भगोड़े अपराधी टाइगर मेमन का भाई है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वह मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्टों का मुख्य साजिशकर्ता था। मुंबई में भीड़ भरे 12 स्थानों पर हुए इन ब्लास्टों में 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि मौत की सजा का सामना कर रहे 10 अन्य दोषी समाज के कमजोर वर्ग के थे, उनके पास रोजगार नहीं था और वह लोग मुख्य साजिशकर्ताओं के ‘गुप्त इरादों’ के शिकार बन गए।
कोर्ट ने कहा था ‘मेमन और अन्य भगोड़े (दाउद इब्राहिम तथा अन्य) मुख्य साजिशकर्ता थे, जिन्होंने इस त्रासद कार्रवाई की साजिश रची थी। 10 अपीलकर्ता सिर्फ सहयोगी थे, जिनकी जानकारी उनके समकक्षों की तुलना में बहुत कम थी। हम कह सकते हैं कि उसने (याकूब ने) और अन्य फरार आरोपियों ने निशाना लगाया जबकि शेष अपीलकर्ताओं के पास हथियार थे।
नीचे की स्लाइड्स में पढ़िए, संजय दत्त इसी मामले में काट रहे हैं सजा -
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