अलास्का शिखर वार्ता: ट्रंप ने कहा- रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर जल्द लग सकता है जवाबी शुल्क

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Russia US meeting 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित कुछ देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात एक बार फिर दोहराई। शनिवार (16 अगस्त ) को अलास्का (Anchorage) में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक के बाद उन्होंने कहा, रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर जवाबी शुल्क (Tariff) लगाने का फैसला दो-तीन हफ़्तों में हो सकता है। हालांकि, उन्होंने फिलहाल इसे टालने की भी कोशिश की है। कहा, अभी तत्काल में जरूरत नहीं।
अलास्का शिखर वार्ता में क्या हुआ?
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान अलास्का (Anchorage) में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ करीब ढाई घंटे चली वार्ता के कुछ ही देर आया है। इस बैठक में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की प्रशंसा की, लेकिन यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप को मास्को आने का न्योता दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप बयान
- अलास्का शिखर वार्ता के बाद ट्रंप और पुतिन ने संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस की। डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को बताया कि आज की वार्ता के बाद मुझे लगता है कि अभी टैरिफ लगाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन 2-3 हफ़्तों में इस पर विचार करना पड़ सकता है।
- ट्रंप ने युद्ध विराम के सवाल पर कहा, जल्द ही वह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से बात करेंगे। वार्ता को काफी सकारात्मक बताया। हालांकि, युद्ध विराम पर अभी सहमति नहीं बन पाई।
पुतिन का रुख
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अलास्का शिखर वार्ता को सार्थक बताया। कहा, अब रूस और अमेरिका पुराने मतभेद छोड़कर आपसी सहयोग की भावना के साथ आगे बढ़ने का समय है। यह भी बताया कि ट्रंप के साथ वह यूक्रेन पर समझौते पर पहुँचे हैं। यूरोप को चेताया कि नवजात प्रगति को बाधित न करें।
भारत पर असर
- अलास्का बैठक से पहले ट्रंप ने कहा था कि रूस ने अपने एक बड़े तेल ग्राहक (भारत) को खो दिया है। भारत पर उन्होंने पहले 25% टैरिफ लगाया था, लेकिन बाद में उसे बढ़ाकर दोगुना 50 फीसदी कर दिया। 25% टैरिफ लागू है। 25% टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी होने हैं।
- अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी चेताया है कि वार्ता से सकारात्मक नतीजे नहीं मिले तो भारत जैसे देशों पर अतिरिक्त टैरिफ और बढ़ाया जा सकता है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत-अमेरिका संबंध बहुआयामी हैं। उन्हें तीसरे पक्ष के नजरिए से नहीं देखना चाहिए।
