इजरायली संसद में ट्रंप का भाषण: नेतन्याहू को बताया सख्त और महान नेता, बोले-‘बेंजामिन से निपटना आसान नहीं’

Trump in Israel
Trump speech: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायली संसद (नेसेट) में अपने हालिया संबोधन में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कठोर नेतृत्व शैली की सराहना की। हल्के-फुल्के अंदाज में ट्रंप ने कहा, "बेंजामिन से निपटना आसान नहीं है, लेकिन यही गुण उन्हें महान बनाता है।"
उन्होंने नेतन्याहू को खड़े होने के लिए कहा और उनकी दृढ़ता को इजरायल की ताकत का प्रतीक बताया। यह संबोधन इजरायल और हमास के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से हुए ऐतिहासिक युद्धविराम समझौते के बाद हुआ, जिसे ट्रंप ने "आतंक और मृत्यु के युग" का अंत करार दिया।
President Donald J. Trump delivers remarks to Israel's Knesset in Jerusalem. 🇺🇸
— The White House (@WhiteHouse) October 13, 2025
"After two harrowing years in darkness & captivity, 20 courageous hostages are returning to the glorious embrace of their families... Today, the sun rises on a Holy Land that is finally at PEACE." pic.twitter.com/edHG5ndSM5
ट्रंप ने अपने संबोधन में 7 अक्टूबर 2023 के हमास के हमले को "दुखद नरसंहार" बताते हुए कहा कि इस त्रासदी ने इजरायल और पूरे मध्य पूर्व को झकझोर दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब सभी पक्षों को यह संकल्प लेना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
Prime Minister Benjamin Netanyahu has just met with US President @realDonaldTrump, at his Knesset office. pic.twitter.com/w4FtkVwUJA
— Prime Minister of Israel (@IsraeliPM) October 13, 2025
ट्रंप ने बताया कि हमास की कैद से 20 "साहसी" बंधक अपने परिवारों के पास लौट रहे हैं, जबकि 28 अन्य मृत बंधकों को "इस पवित्र भूमि पर विश्राम के लिए" वापस लाया जा रहा है। उन्होंने इस युद्धविराम को न केवल गाजा युद्ध का अंत, बल्कि एक नए युग की शुरुआत बताया, जिसमें विश्वास, आशा और शांति प्रमुख होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस समझौते को "नए मध्य पूर्व" के उदय का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "यह केवल एक युद्ध का अंत नहीं है। यह आतंक और मृत्यु के युग का अंत है और विश्वास, आशा और ईश्वर के युग की शुरुआत है।"
ट्रंप ने इस मौके पर इजरायल और फिलिस्तीनी दोनों के लिए संकट के दौर के खत्म होने की बात कही, साथ ही पूरे मध्य पूर्व में स्थायी शांति और समृद्धि की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, "मुझे दृढ़ विश्वास है कि यह क्षेत्र जल्द ही एक शानदार और समृद्ध क्षेत्र बन जाएगा।"
ट्रंप ने इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) की भी प्रशंसा की, जिन्होंने अपनी साहस और ताकत के बूते इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, "आईडीएफ ने असाधारण वीरता दिखाई, जिसके लिए हम उनके आभारी हैं।" साथ ही, उन्होंने इजरायल और उसके पड़ोसी देशों के बीच सहयोग और सद्भाव की नई शुरुआत की उम्मीद जताई।
यह युद्धविराम समझौता, जिसे अमेरिका ने मध्यस्थता के जरिए संभव बनाया, मध्य पूर्व में लंबे समय से चली आ रही हिंसा को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। ट्रंप ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि यह समझौता न केवल इजरायल और फिलिस्तीनियों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है।
उन्होंने कहा, "यह शांति का वह क्षण है जिसका हम सभी ने लंबे समय से इंतजार किया था। अब हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी हिंसा न हो और मध्य पूर्व में शांति और समृद्धि का नया अध्याय शुरू हो।"
इस संबोधन ने इजरायली सांसदों और वहां मौजूद गणमान्य व्यक्तियों का ध्यान खींचा। ट्रंप का यह बयान न केवल नेतन्याहू के नेतृत्व की सराहना करता है, बल्कि मध्य पूर्व में शांति की संभावनाओं को भी रेखांकित करता है। यह समझौता और ट्रंप का संबोधन वैश्विक मंच पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
